हरिद्वार उत्तर भारतीय राज्य उत्तराखंड का एक शहर है। यह हिमालय की तलहटी में गंगा नदी के तट पर स्थित है। हरिद्वार को हिंदुओं के सात सबसे पवित्र स्थानों में से एक के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह माना जाता है कि यहां गंगा में डुबकी लगाने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं। यह शहर अपने मंदिरों, आश्रमों और आध्यात्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। हरीद्वार के कुछ प्रमुख आकर्षणों में हर की पौड़ी, चंडी देवी मंदिर, मनसा देवी मंदिर और माया देवी मंदिर शामिल हैं। कुंभ मेला, एक प्रमुख हिंदू त्योहार, हर 12 साल में हरीद्वार में आयोजित किया जाता है, जो पूरे भारत से लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।
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हरिद्वार का इतिहास और पौराणिक कथा | History and Mythology of Haridwar
हरिद्वार शहर का एक समृद्ध इतिहास और इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, हरीद्वार भारत के सात सबसे पवित्र स्थानों में से एक है, और इसे स्वर्ग के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक भगवान विष्णु ने यहां अपने पदचिन्ह छोड़े थे, जिसके परिणामस्वरूप इस शहर को ‘हरि की पौड़ी’ के नाम से भी जाना जाता है। ऋग्वेद और महाभारत जैसे प्राचीन हिंदू ग्रंथों में इस शहर का उल्लेख किया गया है।
हरीद्वार प्राचीन काल में शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र भी था। यह कई आश्रमों का घर था और वैदिक शिक्षा का केंद्र था। गंगा के मैदान को हिमालयी क्षेत्र से जोड़ने वाला यह शहर एक महत्वपूर्ण व्यापार केंद्र भी था।
हरिद्वार भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक शहर है, जो हिमालय की तलहटी में स्थित है। यह शहर अपने आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता है, और यह हिंदू धर्म के सात सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। हरीद्वार नाम का अर्थ है “देवताओं का प्रवेश द्वार”, और यह शहर सदियों से हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल रहा है।

Tourist Places Haridwar Uttarakhand
- हर की पौड़ी | Har Ki Pauri: हर की पौड़ी भारत के उत्तराखंड के पवित्र शहर हरीद्वार में स्थित एक लोकप्रिय और पवित्र घाट है। ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां एक पत्थर पर भगवान विष्णु के पदचिह्न अंकित हैं। इस घाट को भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है और यहां गंगा नदी में डुबकी लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है। हर की पौड़ी बड़ी संख्या में पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करती है, जो शाम की गंगा आरती देखने और पवित्र नदी में डुबकी लगाने के लिए आते हैं। हर की पौड़ी का वातावरण शांत और शांतिपूर्ण है, जो इसे हरिद्वार आने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक ज़रूरी गंतव्य बनाता है।
- मनसा देवी मंदिर | Mansa Devi Temple: मनसा देवी मंदिर भारत के उत्तराखंड के पवित्र शहर हरिद्वार में स्थित एक लोकप्रिय हिंदू मंदिर है। मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और देवी मनसा देवी को समर्पित है। आगंतुक केबल कार द्वारा मंदिर तक पहुँच सकते हैं और ऊपर से शहर और गंगा के मनोरम दृश्य का आनंद ले सकते हैं। मंदिर को मनोकामना पूरी करने वाला मंदिर माना जाता है, और भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए मंदिर परिसर में एक पवित्र पेड़ पर धागे बांधते हैं। मनसा देवी मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है और हर साल बड़ी संख्या में आगंतुकों को आकर्षित करता है। मंदिर परिसर में विभिन्न खाद्य स्टालों और स्मृति चिन्ह बेचने वाली दुकानें हैं, जो इसे आगंतुकों के लिए एक पूर्ण पैकेज बनाती हैं। भारत की आध्यात्मिकता और संस्कृति का अनुभव करने के लिए हरीद्वार आने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए मनसा देवी मंदिर की यात्रा अनिवार्य है।
- चंडी देवी मंदिर | Chandi Devi Temple: चंडी देवी मंदिर भारत के उत्तराखंड के पवित्र शहर हरीद्वार में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। मंदिर देवी चंडी को समर्पित है, जो देवी पार्वती का अवतार हैं। मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, और आगंतुक इस तक रोपवे द्वारा या पहाड़ी पर ट्रेकिंग करके पहुँच सकते हैं। मंदिर को सिद्ध पीठों में से एक माना जाता है, और यह माना जाता है कि मंदिर में जाने से मनोकामना पूरी हो सकती है। मंदिर शहर और गंगा के मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है, जो इसे पर्यटकों और भक्तों के लिए समान रूप से लोकप्रिय गंतव्य बनाता है। मंदिर परिसर में विभिन्न खाद्य स्टालों और स्मृति चिन्ह बेचने वाली दुकानें हैं, जो इसे आगंतुकों के लिए एक पूर्ण पैकेज बनाती हैं। चंडी देवी मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, और यह हर साल बड़ी संख्या में आगंतुकों को आकर्षित करता है। हरिद्वार आने वाले किसी भी व्यक्ति को भारत की आध्यात्मिकता और संस्कृति का अनुभव करने के लिए चंडी देवी मंदिर की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।
- माया देवी मंदिर | Maya Devi Temple: माया देवी मंदिर भारत के उत्तराखंड के पवित्र शहर हरीद्वार में स्थित एक श्रद्धेय हिंदू मंदिर है। मंदिर देवी माया देवी को समर्पित है, जिन्हें देवी शक्ति के रूपों में से एक माना जाता है। मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, और यह हिंदुओं के लिए बहुत महत्व रखता है। माना जाता है कि मंदिर वह स्थान है जहां देवी सती का हृदय और नाभि तब गिरी थी जब भगवान शिव उनका शव ले जा रहे थे। मंदिर की एक अनूठी स्थापत्य शैली है और यह पूरी तरह से पत्थर से बना है। इसमें एक बड़ा प्रांगण और एक गर्भगृह है जहाँ देवी माया देवी की मूर्ति स्थापित है। मंदिर परिसर में एक पवित्र कुंड भी है जहां भक्त मंदिर में प्रवेश करने से पहले खुद को शुद्ध करने के लिए डुबकी लगाते हैं। माया देवी मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, और यह हर साल बड़ी संख्या में आगंतुकों को आकर्षित करता है। भारत की आध्यात्मिकता और संस्कृति का अनुभव करने के लिए हरिद्वार आने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए माया देवी मंदिर की यात्रा अनिवार्य है।
- दक्षेश्वर महादेव मंदिर | Daksheswara Mahadev Temple: महादेव का दक्षेश्वर मंदिर हरीद्वार, उत्तराखंड, भारत में स्थित है। यह मंदिर प्राचीन काल से ही महत्वपूर्ण माना जाता है और हिंदू धर्म के साथ-साथ भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है। मंदिर में भगवान शिव की पूजा की जाती है और यह मंदिर उत्तराखंड में स्थित सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। मंदिर का इतिहास पुरातन ग्रंथों में लिखा गया है और इसे दक्ष की याद में निर्मित किया गया था, जो प्राचीन भारत के एक पुरातन राजा थे। इस मंदिर का नाम दक्षेश्वर महादेव मंदिर है जिसे स्थानीय लोग छोटे से डेरे के नाम से भी जानते हैं। मंदिर के अंदर एक बड़ी मूर्ति है जिसे भगवान शिव के रूप में पूजा जाता है। मंदिर का आकार बड़ा है और इसके अंदर अनेक छोटे-छोटे मंदिर हैं जहां भगवान शिव के अलावा अन्य देवताओं की मूर्तियां भी हैं।

- भारत माता मंदिर | Bharat Mata Mandir: भारत माता मंदिर भारतीय संस्कृति और धर्म का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जो हरिद्वार, उत्तराखंड में स्थित है। यह मंदिर भारत माता के समर्पण में बनाया गया है और यहां पर भारत माता की मूर्ति स्थापित है। मंदिर देश के विभिन्न हिस्सों की जानकारी, इतिहास और संस्कृति को दर्शाता है। भारत माता मंदिर एक बड़ा मंदिर है और यह तीन मंजिलों में बना है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्वागत देने वाले दो विशाल हाथ खड़े हैं, जो एक दुगनी अर्थ को दर्शाते हैं। मंदिर के अंदर भारत माता की मूर्ति स्थापित है जिसे एक सुंदर विशाल गुम्मट में रखा गया है। मंदिर के दीवारों पर भारत माता के इतिहास के कुछ घटनाओं की जानकारी दी गई है।मंदिर के दूसरे मंजिल पर अन्य देवताओं की मूर्तियां हैं जैसे कि श्री राम दरबार, भगवान शिव और श्री कृष्ण। मंदिर के तीसरे मंजिल पर एक सुंदर स्मृति स्तम्भ है।
- शांतिकुंज | Shantikunj: शांतिकुंज हरीद्वार, उत्तराखंड में स्थित एक स्पिरिचुअल संस्थान है। इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य मानव जाति को धार्मिक उन्नति के लिए जागरूक करना है। शांतिकुंज में पूजन का विशेष महत्व है और यहां पर बहुत से मंदिर और पूजा स्थल हैं। यहां पर राम ज्ञान यज्ञ, समाधि संवाद, साधक सम्मलेन, आदि जैसे कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
शांतिकुंज एक बड़ा कैंपस है जिसमें विभिन्न विद्यालय और शोध संस्थान हैं। यहां पर शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए विभिन्न पाठ्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
शांतिकुंज के स्थान पर शिविरों का आयोजन भी किया जाता है जिसमें लोग अपने जीवन को आध्यात्मिक उन्नति के लिए उन्नत करने के लिए आते हैं। यहां पर स्वामी जी की शिक्षाएं भी सुनाई जाती हैं जो आध्यात्मिक उन्नति के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। - कनखल | Kankhal: कनखल, उत्तरी भारतीय राज्य उत्तराखंड में स्थित एक छोटा सा शहर है, जो आध्यात्मिक साधकों और पर्यटकों के बीच समान रूप से एक लोकप्रिय गंतव्य है। पहाड़ियों के बीच बसा और हरी-भरी हरियाली से घिरा कनखल अपने प्राचीन मंदिरों, पवित्र जल की टंकियों और पारंपरिक आश्रमों के लिए प्रसिद्ध है। इस लेख में, हम कनखल के विभिन्न पहलुओं का पता लगाएंगे जो इसे एक अद्वितीय और विशेष स्थान बनाते हैं।
कनखल का इतिहास: कनखल का एक समृद्ध इतिहास है जो प्राचीन काल से है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि भगवान शिव एक बार कनखल आए थे और कुछ समय के लिए यहां रुके थे। यह शहर प्रसिद्ध संत, आदि शंकराचार्य से भी जुड़ा हुआ है, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने यहां कुछ समय ध्यान किया था। मध्ययुगीन काल में, कनखल पर कुमाऊँनी और गढ़वाल राजवंशों सहित विभिन्न राजाओं का शासन था। इस शहर ने क्षेत्र के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इस अवधि के दौरान यहां कई मंदिरों और आश्रमों का निर्माण किया गया।
कनखल में मंदिर और आश्रम: कनखल में कई प्राचीन मंदिर हैं जो हर साल बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करते हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध दक्षिणेश्वर महादेव मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। किंवदंती के अनुसार, मंदिर उस स्थान पर बनाया गया था जहां भगवान शिव ने अपनी पत्नी सती की मृत्यु के बाद तांडव नृत्य किया था। कनखल में एक और महत्वपूर्ण मंदिर आनंदमाई आश्रम है, जिसकी स्थापना प्रसिद्ध संत आनंदमाई मां ने की थी। आश्रम अपनी आध्यात्मिक शिक्षाओं और प्रथाओं के लिए जाना जाता है, और कई आगंतुकों को आकर्षित करता है जो हिंदू दर्शन की गहरी समझ चाहते हैं। कनखल कई पारंपरिक आश्रमों का भी घर है जो योग, ध्यान और अन्य आध्यात्मिक प्रथाओं पर पाठ्यक्रम और कार्यशालाएँ प्रदान करते हैं। कनखल के कुछ सबसे लोकप्रिय आश्रमों में परमार्थ निकेतन आश्रम, योग निकेतन आश्रम और शिवानंद आश्रम शामिल हैं।

- सप्त ऋषि आश्रम | Sapt Rishi Ashram: सप्त ऋषि आश्रम उत्तराखंड के रिशिकेश शहर में स्थित है। यह आश्रम हिमालय की तलहटी के बीच फैला हुआ है जिसमें आपको शांति और स्वस्थ जीवन जीने का अद्भुत अनुभव मिलेगा। इस स्थान का नाम सप्त ऋषि के नाम पर है, जिन्होंने यहाँ तपस्या की थी। यहाँ आने वाले लोगों का मुख्य उद्देश्य शांति, स्वस्थ जीवन और स्वयं को ढूंढने का होता है। सप्त ऋषि आश्रम अपनी आत्मीय तत्वों को समझने और विश्राम करने के लिए एक स्थान है। यहाँ आप अपनी आध्यात्मिक और शारीरिक स्वस्थता के लिए विभिन्न ध्यान तकनीकों का अभ्यास कर सकते हैं। सप्त ऋषि आश्रम में रहने के लिए कई विकल्प होते हैं। यहाँ विशाल एवं आरामदायक कमरे उपलब्ध हैं जिनमें से आप अपनी पसंद के अनुसार चुन सकते हैं। आप चाहें तो तंग और आरामदायक बेसिक कमरे भी ले सकते हैं। यहाँ पर खान-पान का भी विशेष ख्याल रखा जाता है।
- पवन धाम | Pawan Dham: पवन धाम उत्तराखंड के हरिद्वार शहर में स्थित है। यह धाम भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। यहाँ के मंदिर अनोखे आध्यात्मिक अनुभव के लिए खास हैं। यह स्थान भारतीय संस्कृति का एक अमूल्य भंडार है जो आपको स्वयं को और अपने जीवन को जानने का एक अद्भुत अवसर प्रदान करता है। पवन धाम में सबसे पहले आपको धार्मिक स्थानों में से एक अनोखा मंदिर देखने को मिलता है। यहाँ का मंदिर एक आकर्षक विश्वकर्मा की नक्काशी और आध्यात्मिक विस्तार के लिए जाना जाता है। मंदिर में आपको श्री हनुमान जी की विगतों से जुड़ी अनेक कथाएं और अद्भुत चित्रों का दर्शन मिलता है। यहाँ पर आपको धर्मिक और आध्यात्मिक अनुभवों के अलावा अनेक आकर्षण मिलते हैं। एक अनोखी बैतूल का दर्शन करें जिसमें आपको बहुत सारी छोटी-छोटी मूर्तियों का दर्शन करने को मिलेगा।
- भीमगोदा बैराज | Bhimgoda Barrage: भीमगोदा बैराज उत्तराखंड के हरिद्वार शहर में स्थित है। यह बैराज गंगा नदी पर बनाया गया है और इसका मुख्य उद्देश्य जल संचय और जल संरक्षण है। भीमगोदा बैराज भारत के सबसे बड़े जल संरक्षण परियोजनाओं में से एक है जो गंगा नदी के प्रवाह को नियंत्रित करता है। भीमगोदा बैराज का नाम पांडवों के वीर भीम से लिया गया है। यह बैराज आसपास के क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण जल संसाधन है और उनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा, यह भारत सरकार के जल संरक्षण अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भीमगोदा बैराज का निर्माण 1976 में पूर्ण हुआ था। इस बैराज की ऊँचाई 14 मीटर है और इसकी ऊंचाई को बढ़ाने के लिए एक चट्टानी सीवर भी बनाया गया है। इसके अलावा, यह बैराज प्रति दिन करीब 2000 लीटर पानी का संचय करता है।
- राजाजी नेशनल पार्क | Rajaji National Park: राजाजी नेशनल पार्क उत्तराखंड के हरिद्वार, देहरादून और पौड़ी जिलों में स्थित है। इस पार्क में वन्यजीवों की अनेक प्रजातियां होती हैं, जिनमें हथियार, चीता, सिंह, लंगुर और भालू शामिल होते हैं। यह भारत में सबसे बड़े वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है और यह अपने अद्भुत जंगलों, नदियों, झीलों और झरनों के लिए भी जाना जाता है। राजाजी नेशनल पार्क का नाम राजा राजगोपाल चारण सिंह नेहरू के नाम पर रखा गया है। इसे 1983 में राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया गया था। इस पार्क में आगे बढ़ने के लिए कुछ और क्षेत्रों को भी जोड़ा गया था, जिससे यह अब लगभग 820 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र आवरित करता है। यहां कुछ जीवनी अनुसार बच्चों के लिए सबसे अधिक देखने वाले जानवर होते हैं,यहां पर टाइगर, शेर, हाथी, लंगुर, चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर जैसे वन्य जानवरों का आवास है।
- गौ घाट | Gau Ghat: गौ घाट उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यह एक प्राचीन धार्मिक स्थल है जहां गंगा नदी के किनारे स्थित है। इस स्थान का नाम गौ घाट है क्योंकि यहां गायों के लिए एक घाट है जहां वे स्नान करती हैं। यह स्थान हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और उनकी आस्था का केंद्र है। गौ घाट के पास गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। इसके अलावा, इस स्थान पर एक प्राचीन गोदावरी मंदिर भी है जहां आप देवी गंगा की आराधना कर सकते हैं। गौ घाट का स्थानिक महत्व हिंदू धर्म के इतिहास में भी है। इस स्थान पर भगवान शिव ने गंगा नदी को अपने जटे में संगृहीत किया था। यहीं पर भगीरथ ने भी अपनी तपस्या से गंगा नदी को पृथ्वी पर लाने का संकल्प लिया था।

- सती कुंड | Sati Kund: सती कुंड उत्तराखंड राज्य के उधम सिंह नगर जिले में स्थित है। यह तीर्थस्थल हिंदू धर्म के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। सती कुंड का नाम पुरातन काल में होने वाली एक घटना से जुड़ा है। मान्यता है कि महादेव और पार्वती एक साथ सती कुंड में स्नान करने गए थे। उन्होंने इस स्थान पर दिया था जिससे यहां एक अद्भुत प्राकृतिक कुंड बना। सती कुंड के आसपास शानदार पहाड़ी दृश्य और वन्य जीवों का आवास है। यह जगह प्रकृति के साथ संगम होती है और यहां के माहौल को शांतिपूर्ण और सुकून देने वाला होता है। यहां पर श्रद्धालु अपने दुःखों और दर्दों से राहत पाते हैं और श्रद्धालुओं के लिए यहां धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियां भी आयोजित की जाती हैं।
- कुंभ मेला | Kumbh Mela: हरिद्वार में कुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक महोत्सव है जो हर तीन साल में आयोजित होता है। यह महोत्सव हरीद्वार में आयोजित होता है और हजारों श्रद्धालु इस अवसर के लिए आते हैं। यह महोत्सव आम लोगों के लिए एक महान धार्मिक उत्सव होता है जो भारत की संस्कृति के एक महत्वपूर्ण हिस्से को दर्शाता है। कुंभ मेला हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण स्थान है, जहां हजारों श्रद्धालु अपने पूजा-पाठ और संस्कारों को पूरा करने के लिए इकट्ठा होते हैं। कुंभ मेले में लोग स्नान करते हैं और पुण्य करते हैं। हरीद्वार में कुंभ मेला आमतौर पर जनवरी से अप्रैल के बीच होता है। हरीद्वार कुंभ मेले का अनुभव वास्तव में अद्भुत होता है। यहाँ श्रद्धालु स्नान करते हुए संतों से आशीर्वाद लेते हुए अपने पूर्वजों की याद में तर्पण करते हुए अपने जीवन में नई शुरुआत करते है।

- वैष्णो देवी मंदिर | Vaishno Devi Temple: वैष्णो देवी मंदिर एक धार्मिक स्थल है जो जम्मू और कश्मीर के भारतीय राज्य में स्थित है। इस मंदिर में माँ वैष्णो देवी की पूजा की जाती है जो भक्तों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। यह मंदिर जहां एक समय में अब एक स्थान पर विकसित हो गया है, पहले यहां वैष्णो देवी के 3 पवित्र गुफाओं में पूजा की जाती थी। यह गुफाएं थीं भारत की प्राचीन धार्मिक संस्कृति के अंतर्गत गणेश गुफा, श्रीकृष्ण गुफा और वैष्णो गुफा। यह मंदिर कई लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जो भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
- पिरान कालियार शरीफ | Piran Kaliyar Sharif: पिरान कालियार शरीफ एक अहम धार्मिक स्थल है जो उत्तराखंड राज्य के हरीद्वार जिले में स्थित है। यह स्थान इस्लाम के सूफी धर्म के लिए महत्वपूर्ण है और हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इस मकान में ख्वाजा अलाउद्दीन आवलिया का धर्मस्थल है जो इस्लाम के सूफी धर्म के प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक हैं। इस स्थान का नाम पिरान कालियार शरीफ के नाम पर रखा गया है। “पिरान” शब्द का अर्थ होता है “पुराना” और “कालियार” शब्द का अर्थ होता है “काला नदी”। यह इसलिए है क्योंकि यह स्थान गंगा नदी के किनारे स्थित है जो काला नदी के नाम से भी जानी जाती है। इस स्थान को दर्शनीय स्थल के रूप में माना जाता है जहां आप शांति और आनंद की अनुभूति कर सकते हैं।

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हरिद्वार में मनाए जाने वाले त्यौहार | Festivals Celebrated In Haridwar
हरीद्वार, भारतीय राज्य उत्तराखंड का एक शहर है, जो अपने धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है और इसे हिंदुओं के सात सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। यह शहर अपने विभिन्न त्योहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए भी प्रसिद्ध है जो साल भर मनाए जाते हैं। हरिद्वार में मनाए जाने वाले कुछ त्योहार इस प्रकार हैं:
- कुंभ मेला: कुंभ मेला हरीद्वार में सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। यह एक हिंदू तीर्थ उत्सव है जो हर 12 साल में आयोजित किया जाता है और इसे दुनिया में लोगों की सबसे बड़ी सभाओं में से एक माना जाता है। इस उत्सव के दौरान देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए हरीद्वार आते हैं।
- कांवर मेला: कांवर मेला हरीद्वार में मनाया जाने वाला एक और लोकप्रिय त्योहार है। यह एक हिंदू तीर्थ उत्सव है जो हर साल श्रावण के हिंदू महीने के दौरान आयोजित किया जाता है। इस त्योहार के दौरान, भक्त पवित्र गंगा नदी से बर्तनों में पानी लाते हैं और भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए अपने गृहनगर या आसपास के शिव मंदिरों में नंगे पैर चलते हैं।
- दिवाली: रोशनी का त्योहार दिवाली हरीद्वार में बड़े उत्साह और उत्साह के साथ मनाया जाता है। शहर को रोशनी और रंग-बिरंगी सजावट से सजाया जाता है और लोग त्योहार मनाने के लिए पटाखे फोड़ते हैं। भक्त पूजा करने और आशीर्वाद लेने के लिए शहर के विभिन्न मंदिरों में भी जाते हैं।
- होली: रंगों का त्योहार होली हरीद्वार में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग इस त्योहार के दौरान रंगों से खेलते हैं, संगीत पर नृत्य करते हैं और मिठाइयों और व्यंजनों का आनंद लेते हैं। भक्त पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए प्रसिद्ध हर की पौड़ी घाट भी जाते हैं।
- गंगा दशहरा: गंगा दशहरा गंगा नदी को समर्पित एक त्योहार है और हरीद्वार में मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन गंगा नदी स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। भक्त पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं और देवी गंगा से आशीर्वाद लेने के लिए प्रार्थना करते हैं।
- मकर संक्रांति: मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में परिवर्तन को चिह्नित करने के लिए मनाया जाने वाला त्योहार है। यह हरिद्वार में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, जिसमें लोग पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं और भगवान सूर्य की पूजा करते हैं।
अंत में, हरीद्वार संस्कृति और परंपरा से समृद्ध शहर है, और यहां मनाए जाने वाले त्यौहार शहर की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं। ये त्यौहार हर साल लाखों पर्यटकों और भक्तों को आकर्षित करते हैं, जो हरीद्वार को भारतीय संस्कृति और परंपराओं में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक ज़रूरी जगह बनाते हैं।

Haridwar Weather
हरिद्वार में मौसम इसके स्थान से प्रभावित होता है और पूरे वर्ष बदलता रहता है। यहाँ Haridwar Weather का विस्तृत विश्लेषण दिया गया है:
ग्रीष्म ऋतु (अप्रैल से जून): हरीद्वार में गर्मी का मौसम अप्रैल से शुरू होता है और जून तक रहता है। इस अवधि के दौरान, शहर 25 डिग्री सेल्सियस से 40 डिग्री सेल्सियस के तापमान के साथ गर्म और आर्द्र मौसम का अनुभव करता है। दिन के दौरान मौसम गर्म होता है और हल्के सूती कपड़े पहनने और हाइड्रेटेड रहने की सलाह दी जाती है। गर्म मौसम के कारण पर्यटक आमतौर पर इस अवधि के दौरान हरीद्वार जाने से बचते हैं।
मानसून सीजन (जुलाई से सितंबर): हरीद्वार में मानसून का मौसम जुलाई से शुरू होता है और सितंबर तक रहता है। इस अवधि के दौरान शहर में मध्यम से भारी वर्षा होती है, जिससे गर्मी के महीनों में राहत मिलती है। इस अवधि के दौरान Haridwar temperature 20 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। हालांकि, भारी वर्षा कभी-कभी बाढ़ का कारण बन सकती है, और पर्यटकों को सलाह दी जाती है कि वे इस मौसम में हरीद्वार जाने से पहले मौसम की रिपोर्ट देख लें।
शीत ऋतु (अक्टूबर से मार्च): हरीद्वार में सर्दी का मौसम अक्टूबर से शुरू होता है और मार्च तक रहता है। इस अवधि के दौरान मौसम सुखद और ठंडा होता है, Haridwar temperature 6 डिग्री सेल्सियस से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। शहर दिसंबर और जनवरी के दौरान शीत लहर का अनुभव करता है, और तापमान 3 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। पर्यटकों को सलाह दी जाती है कि वे इस अवधि के दौरान अपने साथ गर्म कपड़े ले जाएँ क्योंकि तापमान काफी ठंडा हो सकता है।
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Distance To Other Famous Places From Haridwar
हरीद्वार, उत्तराखंड, भारत का एक पवित्र शहर, कई लोकप्रिय स्थलों से घिरा हुआ है जो साल भर बड़ी संख्या में पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करते हैं। इस लेख में, हम हरिद्वार और क्षेत्र के कुछ सबसे लोकप्रिय स्थलों के बीच की दूरी पर चर्चा करेंगे।
- हरिद्वार से केदारनाथ की दूरी | Haridwar to Kedarnath distance: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ, भगवान शिव को समर्पित एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। हरीद्वार और केदारनाथ के बीच की दूरी लगभग 125 किलोमीटर है। हरीद्वार से केदारनाथ जाने का सबसे आसान तरीका सड़क या हेलीकाप्टर है। कई बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं जो दोनों शहरों के बीच चलती हैं, जो इसे तीर्थयात्रियों के लिए एक लोकप्रिय मार्ग बनाती हैं।
यदि आप हेलीकॉप्टर से यात्रा करना पसंद करते हैं, तो कई ऑपरेटर हैं जो फाटा या सेरसी से हेलीकॉप्टर सेवा प्रदान करते हैं, जो दोनों केदारनाथ के पास स्थित हैं। हेलीकाप्टर यात्रा में लगभग 10 से 15 मिनट लगते हैं, जिससे यह दोनों शहरों के बीच यात्रा करने का एक त्वरित और सुविधाजनक तरीका बन जाता है। - हरिद्वार से ऋषिकेश की दूरी | Haridwar to Rishikesh distance: ऋषिकेश, साहसिक खेलों और आध्यात्मिक साधकों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है, जो हरीद्वार से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हरीद्वार से ऋषिकेश जाने का सबसे आसान तरीका सड़क या ट्रेन है। कई बसें और ट्रेनें उपलब्ध हैं जो दोनों शहरों के बीच चलती हैं, जो इसे पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय मार्ग बनाती हैं।
- हरिद्वार से देहरादून की दूरी | Haridwar to Dehradun distance: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून, हरिद्वार से लगभग 54 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हरीद्वार से देहरादून जाने का सबसे आसान तरीका सड़क या ट्रेन है। कई बसें और ट्रेनें उपलब्ध हैं जो दोनों शहरों के बीच चलती हैं, जो इसे पर्यटकों और व्यापारिक यात्रियों के लिए एक लोकप्रिय मार्ग बनाती हैं।
- हरीद्वार से बद्रीनाथ की दूरी | Haridwar to Badrinath distance: उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ एक पवित्र शहर और हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य है। हरीद्वार और बद्रीनाथ के बीच की दूरी लगभग 316 किमी है। हरीद्वार से बद्रीनाथ जाने का सबसे आसान तरीका सड़क मार्ग है। कई बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं जो दोनों शहरों के बीच चलती हैं।
- हरीद्वार से मसूरी की दूरी | Haridwar to Mussoorie distance: मसूरी, जिसे पहाड़ियों की रानी के रूप में भी जाना जाता है, उत्तराखंड में स्थित एक लोकप्रिय हिल स्टेशन है। हरीद्वार और मसूरी के बीच की दूरी लगभग 84 किमी है। हरीद्वार से मसूरी जाने का सबसे आसान तरीका सड़क मार्ग है। कई बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं जो दोनों शहरों के बीच चलती हैं।

How To Reach Haridwar
हरिद्वार भारतीय राज्य उत्तराखंड का एक लोकप्रिय शहर है और सड़क, रेल और हवाई मार्ग से भारत के अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। हरीद्वार पहुंचने के विभिन्न तरीके यहां दिए गए हैं:
- हवाईजहाज से | By Air: हरीद्वार का निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो लगभग 35 किमी दूर है। कई एयरलाइंस दिल्ली, मुंबई और बैंगलोर जैसे प्रमुख शहरों से देहरादून के लिए नियमित उड़ानें संचालित करती हैं। हवाई अड्डे से, आप हरीद्वार पहुँचने के लिए टैक्सी या बस ले सकते हैं।
- ट्रेन से | By Train: हरीद्वार जंक्शन रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। कई ट्रेनें नियमित रूप से हरीद्वार के लिए और से संचालित होती हैं। हरिद्वार के लिए चलने वाली कुछ लोकप्रिय ट्रेनें शताब्दी एक्सप्रेस, जन शताब्दी एक्सप्रेस और हरीद्वार एक्सप्रेस हैं।
- सड़क द्वारा | By Road: हरीद्वार सड़क मार्ग से भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। हरिद्वार के लिए और से कई राज्य संचालित और निजी बसें संचालित होती हैं। हरीद्वार पहुँचने के लिए आप टैक्सी या सेल्फ ड्राइव भी किराए पर ले सकते हैं।
- बाइक से | By Bike: हरीद्वार बाइक के शौकीनों के बीच एक लोकप्रिय गंतव्य है और सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। बाइक से दिल्ली से हरीद्वार की यात्रा में लगभग 5-6 घंटे लगते हैं, और मार्ग सुंदर और सुंदर है।
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Famous Dishes To Try In Haridwar
भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित हरीद्वार संस्कृति और व्यंजनों से समृद्ध शहर है। यह शहर अपने विविध भोजन दृश्य और अपने व्यंजनों के अनूठे स्वाद के लिए जाना जाता है। इस लेख में, हम हरीद्वार के कुछ प्रसिद्ध व्यंजनों के बारे में चर्चा करेंगे जिन्हें आपको अपनी यात्रा के दौरान अवश्य आजमाना चाहिए:
- आलू पुरी: आलू पुरी हरीद्वार का एक लोकप्रिय नाश्ता व्यंजन है, जिसे स्थानीय लोगों और पर्यटकों द्वारा समान रूप से पसंद किया जाता है। यह एक सरल लेकिन स्वादिष्ट व्यंजन है जिसमें तली हुई ब्रेड (पुरी) और मसालेदार आलू की सब्जी (आलू) शामिल है। इस व्यंजन को अक्सर चटनी या अचार के साथ परोसा जाता है।
- कचौरी: कचौरी हरीद्वार का एक और लोकप्रिय नाश्ता है। यह दाल, प्याज और मसालों के मसालेदार मिश्रण से भरी एक गहरी तली हुई पेस्ट्री है। यह गर्म और कुरकुरा परोसा जाता है और अक्सर इमली या पुदीने की चटनी के साथ परोसा जाता है।
- छोले भटूरे: छोले भटूरे एक लोकप्रिय उत्तर भारतीय व्यंजन है जिसे देश भर के लोग बहुत पसंद करते हैं। इसमें मसालेदार चना (छोले) होते हैं जो नरम और फूली हुई तली हुई रोटी (भटूरे) के साथ परोसे जाते हैं। यह एक पेट भरने वाला व्यंजन है और इसे अक्सर दोपहर के भोजन या रात के खाने के विकल्प के रूप में खाया जाता है।
- लस्सी: लस्सी हरीद्वार में विशेष रूप से गर्मियों के दौरान एक लोकप्रिय पेय है। यह एक मीठा दही-आधारित पेय है जिसे पानी और कभी-कभी फलों या मेवों के साथ मिश्रित किया जाता है। यह एक ताज़ा पेय है जिसका अकेले या भोजन के साथ आनंद लिया जा सकता है।
- खीर: खीर हरीद्वार की एक लोकप्रिय मिठाई है, जो अक्सर त्योहारों या विशेष अवसरों पर बनाई जाती है। यह एक मलाईदार चावल का हलवा है जिसे दूध, चीनी और इलायची से बनाया जाता है, और अक्सर इसे मेवों और सूखे मेवों से सजाया जाता है।
- पेड़ा: पेड़ा हरिद्वार की एक प्रसिद्ध मिठाई है, जो गाढ़े दूध और चीनी से बनाई जाती है। इसकी एक मलाईदार बनावट है और अक्सर इलायची, केसर, या गुलाब जल के साथ इसका स्वाद लिया जाता है। यह एक लोकप्रिय मिठाई है जिसे अक्सर त्योहारों और विशेष अवसरों पर परोसा जाता है।
- राबड़ी: हरीद्वार में रबड़ी एक लोकप्रिय दूध से बनी मिठाई है, जिसे दूध को उबालकर गाढ़ा घोल बनाने के लिए बनाया जाता है। इसे अक्सर इलायची, केसर, और पिस्ता के साथ स्वादिष्ट बनाया जाता है और ठंडा परोसा जाता है।
Tip: हरिद्वार एक ऐसा शहर है जो कई प्रकार के स्वादिष्ट और अनोखे व्यंजन पेश करता है जो निश्चित रूप से आपकी स्वाद कलियों को प्रसन्न करेंगे। चाहे आप खाने के शौकीन हों या कोई ऐसा व्यक्ति जो नए स्वादों का पता लगाना पसंद करता हो, हरीद्वार में सभी के लिए कुछ न कुछ है। तो, इस खूबसूरत शहर की यात्रा के दौरान इन प्रसिद्ध व्यंजनों को चखने का मौका न चूकें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
Q1 हरिद्वार घूमने का सबसे अच्छा समय क्या है?
Ans: हरीद्वार घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी के बीच होता है, जब मौसम सुखद और ठंडा होता है। हालाँकि, यदि आप दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन, कुंभ मेले में भाग लेने के इच्छुक हैं, तो आपको अपनी यात्रा की योजना इसकी संबंधित तिथियों के दौरान बनानी चाहिए, जो हर 12 साल में बदलती रहती हैं।
Q2 मैं हरिद्वार कैसे पहुँच सकता हूँ?
Ans: हरिद्वार सड़क, रेल और हवाई मार्ग से भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। हरीद्वार का निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो लगभग 35 किमी दूर है। आप दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे प्रमुख शहरों से ट्रेन या बस द्वारा भी हरिद्वार पहुँच सकते हैं।
Q3 हरीद्वार में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कौन से हैं?
Ans: हरीद्वार में कई प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण हैं, जिनमें हर की पौड़ी, मनसा देवी मंदिर, चंडी देवी मंदिर और माया देवी मंदिर शामिल हैं। यह शहर अपनी शाम की गंगा आरती के लिए भी प्रसिद्ध है, जिसे सभी आगंतुकों को अवश्य देखना चाहिए।
Q4 हरिद्वार के प्रसिद्ध व्यंजन कौन से हैं?
Ans: हरीद्वार अपने विविध भोजन दृश्य और अपने व्यंजनों के अनूठे स्वाद के लिए जाना जाता है। हरिद्वार के कुछ प्रसिद्ध व्यंजनों में आलू पुरी, कचौरी, छोले भटूरे, लस्सी, खीर, पेड़ा और रबड़ी शामिल हैं।
Q5 हरीद्वार में खरीदारी के स्थान कौन से हैं?
Ans: हरिद्वार खरीददारों के लिए स्वर्ग है और पीतल के सामान, धार्मिक वस्तुओं, हस्तशिल्प और वस्त्रों सहित उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है। हरीद्वार में खरीदारी के लिए प्रसिद्ध मोती बाजार, बड़ा बाजार और कनखल हैं।
Q6 हरिद्वार का धार्मिक महत्व और अनुष्ठान क्या हैं?
Ans: हरीद्वार हिंदुओं के लिए एक पवित्र शहर है और इसे देवताओं का प्रवेश द्वार माना जाता है। यह शहर अपनी गंगा आरती के लिए प्रसिद्ध है, जो गंगा नदी की पूजा करने की एक रस्म है। ऐसा माना जाता है कि शुभ अवसरों पर पवित्र गंगा में डुबकी लगाने से पाप धुल जाते हैं।
Conclusion: Haridwar Uttarakhand का इतिहास, पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिकता में डूबा हुआ शहर है। यह एक ऐसी जगह है जहां आगंतुक अपने भीतर से जुड़ सकते हैं और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का अनुभव कर सकते हैं। शहर के कई घाट, मंदिर और आश्रम आगंतुकों को हिंदू धर्म की प्राचीन परंपराओं की एक झलक प्रदान करते हैं, जबकि इसके योग और आयुर्वेदिक केंद्र आगंतुकों को अपने मन, शरीर और आत्मा को फिर से जीवंत करने का अवसर प्रदान करते हैं। चाहे आप एक आध्यात्मिक साधक हों या एक जिज्ञासु यात्री, हरिद्वार की यात्रा एक ऐसा अनुभव है जैसा और कोई नहीं।
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