हरियाली तीज भारतीय महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है जो हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारतीय राज्यों में प्रमुखता से मनाया जाता है, जैसे कि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार। हरियाली तीज का आयोजन मुख्य रूप से सावनी माता के पर्वतीय महल में किया जाता है, जहां महिलाएं भगवान शिव और पार्वती की कृपा और आशीर्वाद की कामना करती हैं। यह पर्व मुख्य रूप से सुंदरता, स्नेह, एकता, खुशहाली और पति-पत्नी के बंधन का प्रतीक है। चलिये अब हम विस्तार से जानते है, Hariyali Teej Kyu Manate Hai और इस त्यौहार से जुडी अन्य महत्वपूर्ण बातें।
Table of Contents
हरियाली तीज कब है?
हरियाली तीज शनिवार, अगस्त 19, 2023 को
तृतीया तिथि प्रारम्भ – अगस्त 18, 2023 को 08:01 pm बजे
तृतीया तिथि समाप्त – अगस्त 19, 2023 को 10:19 pm बजे
तीज कितने प्रकार की होती है?
सावन और भाद्रपद महीनों के दौरान महिलाओं द्वारा मनाई जाने वाली तीन प्रसिद्ध तीजें हैं:
- हरियाली तीज | Hariyali Teej
- कजरी तीज | Kajri Teej
- हरतालिका तीज | Hartalika Teej
अन्य तीज त्यौहार जैसे आखा तीज जिसे अक्षय तृतीया और गणगौर तृतीया के नाम से भी जाना जाता है, उपरोक्त तीन तीजों का हिस्सा नहीं हैं। हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज विशेष तीज हैं क्योंकि ये श्रावण और भाद्रपद महीनों के दौरान आती हैं। श्रावण मास और भाद्रपद मास वर्तमान में वर्षा ऋतु या मानसून के साथ मेल खाते हैं और इन तीन तीजों का समय उन्हें महिलाओं के लिए और अधिक विशेष बनाता है। हरियाली तीज को छोटी तीज और श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है। हरियाली तीज के पंद्रह दिन बाद आने वाली कजरी तीज को बड़ी तीज के नाम से जाना जाता है।

Hariyali Teej Kyu Manate Hai
हरियाली तीज को मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के लिए सुंदरता और आनंद की प्राप्ति होती है। इस पर्व के दौरान महिलाएं हरे रंग के कपड़े पहनती हैं, जो उनकी सुंदरता को और बढ़ाता है। तीज व्रत करने से महिलाओं को उनके पति के लंबे आयु और खुशहाल व विश्रामयुक्त जीवन की कामना होती है। इसके अलावा, यह पर्व महिलाओं की आत्मिक एवं शारीरिक ताजगी को बढ़ाने का भी एक माध्यम है। Hariyali teej पर महिलाएं गाने गाती हैं, रसोईघर की सजावट करती हैं, भजन की जल्ली रखती हैं और तीज की पूजा करती हैं। इस दिन लड़कीयों और स्त्रियों को अपने मायके में जाने का अधिकार होता है और वे अपने माता-पिता के घर जाकर तीज मनाती हैं।
हरियाली तीज का व्रत कैसे रखा जाता है?
हरियाली तीज व्रत भारतीय महिलाओं द्वारा बड़ी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह व्रत श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की तीसरी तिथि को मनाया जाता है, जो साधारणतया जुलाई या अगस्त महीने में पड़ती है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और पार्वती की कृपा और आशीर्वाद के लिए व्रत रखती हैं। हरियाली तीज का व्रत निम्नलिखित तरीके से रखा जाता है:
- व्रतारंभ: व्रत की शुरुआत सुबह सूर्योदय के समय होती है। महिलाएं स्नान करके सुखी वस्त्र पहनती हैं और पूजा स्थल पर जाती हैं।
- पूजा सामग्री: Hariyali teej पूजा के लिए सामग्री में तांबे की थाली, गंगाजल, फूल, मोली (कलावा), अक्षता, धूप, दीप, नैवेद्य (फल और मिठाई) शामिल होती है।
- पूजा विधि: महिलाएं थाली पर अपने ईश्वर के मुख्य देवता और देवी का मूर्ति स्थापित करती हैं। उन्हें पुष्प, धूप, दीप और अक्षता से पूजा करती हैं और उन्हें मिठाई और फल की नैवेद्य भी चढ़ाती हैं।
- नियमित उपवास: हरियाली तीज व्रत में महिलाएं नियमित रूप से उपवास करती हैं। व्रत दिन में अन्न, गेहूं, नमक, हल्दी और गेहूं के दूध से बने आहार का सेवन नहीं करती हैं। वे केवल फल, सब्जी, दूध, दही और व्रत के विशेष पकवान का सेवन करती हैं।
- मांगलिक सौभाग्य के लिए पूजा: महिलाएं व्रत के दौरान भगवान शिव और पार्वती की पूजा करके विवाहित स्त्री और सुखी परिवार के लिए मांगलिक सौभाग्य की कामना करती हैं।
- गांठ खोलना: व्रत के अंत में दोबारा सूर्यास्त होने के बाद, महिलाएं गांठ खोलती हैं और ईश्वर के समक्ष अपनी पूर्णता और व्रत को समर्पित करती हैं।
हरियाली तीज व्रत को सावधानीपूर्वक और भक्ति भाव से रखना चाहिए। व्रत के दौरान शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक है। यह व्रत महिलाओं के बीच भाईचारे और सम्मान की भावना को भी बढ़ाता है।

हरियाली तीज की पूजा कैसे करते हैं?
हरियाली तीज की पूजा निम्नलिखित तरीके से की जाती है:
- पूजा स्थल की तैयारी: हरियाली तीज की पूजा के लिए एक पवित्र स्थान तैयार करें। इसमें आप एक चौकी या एक अलग कमोड़ रख सकते हैं जिस पर पूजा सामग्री रखी जा सके।
- पूजा सामग्री: हरियाली तीज की पूजा के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:
- गंगाजल और पानी की कलश
- तांबे की थाली
- फूल
- मोली (कलावा)
- अक्षता (चावल के अनाज)
- धूप और दीप
- पूजा की विधान के अनुसार चढ़ाने के लिए प्रतिष्ठित मिठाई और फल
- भगवान शिव और पार्वती की मूर्ति
- पूजा विधि:
- हरियाली तीज की पूजा की शुरुआत में स्नान करें और सुखी वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल पर गंगाजल की कलश स्थापित करें।
- थाली पर मोली बांधें और उस पर फूल रखें।
- मूर्तियों को पूजनीय स्थान पर स्थापित करें। उन्हें पुष्प, धूप और दीप से पूजें।
- ध्यान रखें कि मांगलिक सौभाग्य के लिए विशेष रूप से भगवान शिव और पार्वती की पूजा करें।
- मिठाई और फल की नैवेद्य चढ़ाएं।
- व्रत कथा सुनें या पढ़ें जो हरियाली तीज के व्रत के महत्व पर आधारित होती है।
- हरियाली तीज की पूजा के बाद आरती करें और प्रसाद बांटें।
- व्रत का पालन: हरियाली तीज व्रत के दौरान, आपको नियमित रूप से उपवास करना होगा। अन्न, गेहूं, नमक, हल्दी और गेहूं के दूध से बने आहार का त्याग करें। आप केवल फल, सब्जी, दूध, दही और व्रत के विशेष पकवान का सेवन कर सकते हैं।
हरियाली तीज की पूजा में भक्ति और श्रद्धा के साथ समर्पित होना आवश्यक है। आपको Hariyali teej पूजा के दौरान आंतरिक शांति और समाधान की कामना करनी चाहिए।

हरियाली तीज की कथा
- हे गौरी! पर्वतराज हिमालय पर स्थित गंगा के तट पर तुमने अपनी बाल्यावस्था में बारह वर्षों तक अधोमुखी होकर घोर तप किया था। इतनी अवधि तुमने अन्न न खाकर पेड़ों के सूखे पत्ते चबा कर व्यतीत किए। माघ की विक्राल शीतलता में तुमने निरंतर जल में प्रवेश करके तप किया। वैशाख की जला देने वाली गर्मी में तुमने पंचाग्नि से शरीर को तपाया। श्रावण की मूसलधार वर्षा में खुले आसमान के नीचे बिना अन्न-जल ग्रहण किए समय व्यतीत किया।
- तुम्हारे पिता तुम्हारी कष्ट साध्य तपस्या को देखकर बड़े दुखी होते थे। उन्हें बड़ा क्लेश होता था। तब एक दिन तुम्हारी तपस्या तथा पिता के क्लेश को देखकर नारदजी तुम्हारे घर पधारे। तुम्हारे पिता ने हृदय से अतिथि सत्कार करके उनके आने का कारण पूछा।
- नारदजी ने कहा- गिरिराज! मैं भगवान विष्णु के भेजने पर यहां उपस्थित हुआ हूं। आपकी कन्या ने बड़ा कठोर तप किया है। इससे प्रसन्न होकर वे आपकी सुपुत्री से विवाह करना चाहते हैं। इस संदर्भ में आपकी राय जानना चाहता हूं।
- नारदजी की बात सुनकर गिरिराज गद्गद हो उठे। उनके तो जैसे सारे क्लेश ही दूर हो गए। प्रसन्नचित होकर वे बोले- श्रीमान्! यदि स्वयं विष्णु मेरी कन्या का वरण करना चाहते हैं तो भला मुझे क्या आपत्ति हो सकती है। वे तो साक्षात ब्रह्म हैं। हे महर्षि! यह तो हर पिता की इच्छा होती है कि उसकी पुत्री सुख-सम्पदा से युक्त पति के घर की लक्ष्मी बने। पिता की सार्थकता इसी में है कि पति के घर जाकर उसकी पुत्री पिता के घर से अधिक सुखी रहे।
- तुम्हारे पिता की स्वीकृति पाकर नारदजी विष्णु के पास गए और उनसे तुम्हारे ब्याह के निश्चित होने का समाचार सुनाया। मगर इस विवाह संबंध की बात जब तुम्हारे कान में पड़ी तो तुम्हारे दुख का ठिकाना न रहा।
- तुम्हारी एक सखी ने तुम्हारी इस मानसिक दशा को समझ लिया और उसने तुमसे उस विक्षिप्तता का कारण जानना चाहा। तब तुमने बताया – मैंने सच्चे हृदय से भगवान शिवशंकर का वरण किया है, किंतु मेरे पिता ने मेरा विवाह विष्णुजी से निश्चित कर दिया। मैं विचित्र धर्म-संकट में हूं। अब क्या करूं? प्राण छोड़ देने के अतिरिक्त अब कोई भी उपाय शेष नहीं बचा है। तुम्हारी सखी बड़ी ही समझदार और सूझबूझ वाली थी।
- उसने कहा- सखी! प्राण त्यागने का इसमें कारण ही क्या है? संकट के मौके पर धैर्य से काम लेना चाहिए। नारी के जीवन की सार्थकता इसी में है कि पति-रूप में हृदय से जिसे एक बार स्वीकार कर लिया, जीवनपर्यंत उसी से निर्वाह करें। सच्ची आस्था और एकनिष्ठा के समक्ष तो ईश्वर को भी समर्पण करना पड़ता है। मैं तुम्हें घनघोर जंगल में ले चलती हूं, जो साधना स्थली भी हो और जहां तुम्हारे पिता तुम्हें खोज भी न पाएं। वहां तुम साधना में लीन हो जाना। मुझे विश्वास है कि ईश्वर अवश्य ही तुम्हारी सहायता करेंगे।
- तुमने ऐसा ही किया। तुम्हारे पिता तुम्हें घर पर न पाकर बड़े दुखी तथा चिंतित हुए। वे सोचने लगे कि तुम जाने कहां चली गई। मैं विष्णुजी से उसका विवाह करने का प्रण कर चुका हूं। यदि भगवान विष्णु बारात लेकर आ गए और कन्या घर पर न हुई तो बड़ा अपमान होगा। मैं तो कहीं मुंह दिखाने के योग्य भी नहीं रहूंगा। यही सब सोचकर गिरिराज ने जोर-शोर से तुम्हारी खोज शुरू करवा दी।
- इधर तुम्हारी खोज होती रही और उधर तुम अपनी सखी के साथ नदी के तट पर एक गुफा में मेरी आराधना में लीन थीं। भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र था। उस दिन तुमने रेत के शिवलिंग का निर्माण करके व्रत किया। रात भर मेरी स्तुति के गीत गाकर जागीं। तुम्हारी इस कष्ट साध्य तपस्या के प्रभाव से मेरा आसन डोलने लगा। मेरी समाधि टूट गई। मैं तुरंत तुम्हारे समक्ष जा पहुंचा और तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न होकर तुमसे वर मांगने के लिए कहा।
- तब अपनी तपस्या के फलस्वरूप मुझे अपने समक्ष पाकर तुमने कहा – मैं हृदय से आपको पति के रूप में वरण कर चुकी हूं। यदि आप सचमुच मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर आप यहां पधारे हैं तो मुझे अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार कर लीजिए।

- तब मैं ‘तथास्तु’ कह कर कैलाश पर्वत पर लौट आया। प्रातः होते ही तुमने पूजा की समस्त सामग्री को नदी में प्रवाहित करके अपनी सहेली सहित व्रत का पारणा किया। उसी समय अपने मित्र-बंधु व दरबारियों सहित गिरिराज तुम्हें खोजते-खोजते वहां आ पहुंचे और तुम्हारी इस कष्ट साध्य तपस्या का कारण तथा उद्देश्य पूछा। उस समय तुम्हारी दशा को देखकर गिरिराज अत्यधिक दुखी हुए और पीड़ा के कारण उनकी आंखों में आंसू उमड़ आए थे।
- तुमने उनके आंसू पोंछते हुए विनम्र स्वर में कहा- पिताजी! मैंने अपने जीवन का अधिकांश समय कठोर तपस्या में बिताया है। मेरी इस तपस्या का उद्देश्य केवल यही था कि मैं महादेव को पति के रूप में पाना चाहती थी। आज मैं अपनी तपस्या की कसौटी पर खरी उतर चुकी हूं। आप क्योंकि विष्णुजी से मेरा विवाह करने का निर्णय ले चुके थे, इसलिए मैं अपने आराध्य की खोज में घर छोड़कर चली आई। अब मैं आपके साथ इसी शर्त पर घर जाऊंगी कि आप मेरा विवाह विष्णुजी से न करके महादेवजी से करेंगे।
- गिरिराज मान गए और तुम्हें घर ले गए। कुछ समय के पश्चात शास्त्रोक्त विधि-विधानपूर्वक उन्होंने हम दोनों को विवाह सूत्र में बांध दिया।
- हे पार्वती! भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था, उसी के फलस्वरूप मेरा तुमसे विवाह हो सका। इसका महत्व यह है कि मैं इस व्रत को करने वाली कुंआरियों को मनोवांछित फल देता हूं। इसलिए सौभाग्य की इच्छा करने वाली प्रत्येक युवती को यह व्रत पूरी एकनिष्ठा तथा आस्था से करना चाहिए।
Read More: Amazing Vat Savitri Vrat Katha And Vidhi In Hindi | 21 Vrat Samagri
हरियाली तीज व्रत के लाभ
- हरियाली तीज का व्रत भाद्रपद शुक्ल तृतीया को शिव और पार्वती के पुर्नमिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
- ऐसी मान्यता है कि मां पार्वती ने 107 जन्म लिए थे कल्याणकारी भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए।
- अंततः मां पार्वती के कठोर तप के कारण उनके 108वें जन्म में भोले बाबा ने पार्वती जी को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया था।
- हरियाली तीज व्रत को करने से मां पार्वती प्रसन्न होकर पतियों की लम्बी उम्र का आशीर्वाद देती है।
- Hariyali teej का मनाने में स्वास्थ्य लाभ भी होता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और देह साफ़ करने का विशेष ध्यान रखती हैं। यह उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। व्रत रखने से शरीर का वजन नियंत्रित रहता है, पाचन तंत्र सुदृढ़ होता है, और त्वचा की चमक बढ़ती है। इसके अलावा, तीज के दिन निराशा और चिंता से मुक्त होने का अनुभव होता है, जो मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।
Read More: बसंत पंचमी 2023 कब है? | Beautiful Basant Panchami Festival

हरियाली तीज पर क्या करते हैं?
हरियाली तीज के दिन निम्नलिखित गतिविधियों का आयोजन किया जाता है:
- व्रत का पालन: महिलाएं Hariyali teej के दिन उपवास रखती हैं। इसका अर्थ होता है कि वे पूरे दिन भोजन का त्याग करती हैं और केवल व्रत के विशेष आहार का सेवन करती हैं।
- पूजा: महिलाएं घर में भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। वे मंदिर या पूजा स्थल में गंगाजल की कलश स्थापित करती हैं और पूजा सामग्री के साथ भगवान की मूर्ति की पूजा करती हैं।
- महिलाओं का सजना सवरना: हरियाली तीज पर महिलाएं सुंदरता का ख़ास ख्याल रखती हैं। वे हरी रंग की साड़ी या लहंगा-चोली पहनती हैं और बांहों में मेहंदी का डिज़ाइन बनवाती हैं।
- फाग मेला: हरियाली तीज के दिन महिलाएं फाग मेला में भाग लेती हैं। वे संगीत, नृत्य और खेल का आनंद लेती हैं। इसके अलावा, पारिवारिक साथियों और मित्रों के साथ मेल-जोल और मनोरंजन का समय बिताती हैं।
- प्रसाद वितरण: अधिकांश महिलाएं व्रत के बाद पूजा का प्रसाद अपने परिवार और दोस्तों के साथ बाँटती हैं। इसमें मिठाई, फल और व्रत के पकवान शामिल हो सकते हैं।
Hariyali teej पर ये गतिविधियाँ उत्साह और धार्मिक भावनाओं का प्रतीक होती हैं और महिलाओं के लिए आनंददायक अवसर साबित होती हैं।
Read More: Amazing Govardhan Puja 2022 Celebration
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1 हरियाली तीज कब मनाया जाता है?
Ans: हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व भारत में विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तारीखों पर मनाया जा सकता है।
Q2 हरियाली तीज का महत्व क्या है?
Ans: Hariyali teej का महत्वपूर्ण पहलू है सिंदूर दान और पति-पत्नी के प्यार और विश्वास का प्रतीक होना। इसके अलावा, यह महिलाओं के लिए आध्यात्मिकता, सुंदरता और परिवार के साथ बंधन का प्रतीक है।
Q3 हरियाली तीज की परंपराएं क्या हैं?
Ans: हरियाली तीज को मनाने के लिए महिलाएं व्रत रखती हैं, विशेष भोजन तैयार करती हैं, सजावट करती हैं और संध्या आराधना करती हैं। इसके अलावा, अनेक प्रकार के गीत और नृत्य भी इस पर्व के साथ जुड़े होते हैं।
Q4 हरियाली तीज का धार्मिक महत्व क्या है?
Ans: हरियाली तीज को धार्मिक दृष्टिकोण से मनाने पर भगवान शिव और पार्वती माता की कृपा मिलती है। यह पर्व माता पार्वती के विवाह के उत्सव के रूप में भी जाना जाता है।
Q5 हरियाली तीज का मनाने का तरीका क्या है?
Ans: Hariyali teej को मनाने के लिए महिलाएं सबसे पहले नहाकर स्नान करती हैं और शुद्ध वस्त्र पहनती हैं। उन्हें व्रत रखना चाहिए और पूजा करनी चाहिए, जिसमें शिव-पार्वती की मूर्ति का पूजन किया जाता है।
Read More: 2022 Diwali Celebration: Amazing History & Significance In Hindi
Conclusion: इस प्रकार Hariyali Teej Kyu Manate Hai के बारे में पता चला। हरियाली तीज एक खुशहाली, आनंद और समृद्धि का पर्व है जो महिलाओं के जीवन को रंगीन बनाता है। यह एक ऐसा अवसर है जब महिलाएं अपने परिवार और पति के प्रति अपनी प्रेम भावना का प्रदर्शन करती हैं और अपने जीवन में सुख, समृद्धि और आनंद की प्राप्ति करती हैं। हरियाली तीज महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण और प्रिय उत्सव है जिसे हर साल धूमधाम के साथ मनाना चाहिए।