भारतीय संस्कृति में सांपों को महत्वपूर्ण मान्यता है। सांपों के विष और महिमा के बारे में कई प्राचीन कथाएं और मान्यताएं हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण कथा है “नाग पंचमी” की। यह त्योहार भारत और नेपाल में विशेष आनंद और धार्मिक महत्व के साथ मनाया जाता है। इस लेख में, हम Story of Nag Panchami in Hindi में जानेंगे और इसके पीछे के महत्वपूर्ण तत्वों को समझेंगे।
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नाग पंचमी | Nag Panchmi
सावन माह के दौरान शुक्ल पक्ष पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर नाग पंचमी का दिन हरियाली तीज के दो दिन बाद आता है। वर्तमान में नाग पंचमी english calender के अनुसार July और August महीने में आती है। इस दिन महिलाएं नाग देवता की पूजा करती हैं और सांपों को दूध पिलाती हैं। महिलाएं अपने भाइयों और परिवार की सलामती के लिए भी प्रार्थना करती हैं।
नाग पंचमी पूरे भारत में हिंदुओं द्वारा मनाई जाने वाली नाग देवताओं की एक पारंपरिक पूजा है। हिंदू कैलेंडर में, कुछ दिनों को नाग देवताओं की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है और विशेष रूप से श्रावण माह के दौरान पंचमी तिथि को नाग देवताओं की पूजा के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। Nag Panchmi उन महत्वपूर्ण दिनों में से एक है और यह श्रावण माह के दौरान शुक्ल पक्ष पंचमी को मनाया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि सांपों को दी गई कोई भी पूजा नाग देवताओं तक पहुंचती है। इसलिए लोग उस दिन नाग देवताओं के प्रतिनिधि के रूप में जीवित सांपों की पूजा करते हैं, जिन्हें हिंदू धर्म में पूजनीय और पूजा जाता है। हालाँकि कई नाग देवता हैं, नाग पंचमी पूजा (Panchmi puja) के दौरान निम्नलिखित 12 की पूजा की जाती है –
- अनंत | Ananta
- वासुकी | Vasuki
- शेष | Shesha
- पद्मा | Padma
- कंबाला | Kambala
- कर्कोटक | Karkotaka
- अश्वतर | Ashvatara
- धृतराष्ट्र | Dhritarashtra
- शंखपाल | Shankhapala
- कालिया | Kaliya
- तक्षक | Takshaka
- पिंगला | Pingala
नाग चतुर्थी
कुछ लोग नाग पंचमी से एक दिन पहले fast रखते हैं और नाग पंचमी से एक दिन पहले के उपवास को नाग चतुर्थी या नागुल चविथि के नाम से जाना जाता है। आंध्र प्रदेश में नाग चतुर्थी या नागुल चविथि दिवाली के ठीक बाद मनाई जाती है और Tamilnadu में सूरा सम्हारम के छह दिनों के लंबे उत्सव के साथ मेल खाती है।
नाग पंचम
Gujrat में नाग पंचमी अन्य राज्यों की तुलना में 15 दिन बाद मनाई जाती है। गुजरात में प्रचलित अमावस्या से अमावस्या चंद्र कैलेंडर के अनुसार, नाग पंचमी श्रावण माह की कृष्ण पक्ष पंचमी के दौरान आती है। नाग पंचमी को गुजरात में नाग पंचम के नाम से अधिक जाना जाता है और आमतौर पर यह कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव से तीन दिन पहले मनाया जाता है।
गुजरात में बोला चोथ या बोल चोथ
Gujrat में बोला चोथ नाग पंचम के एक दिन पहले मनाया जाता है। बोला चोथ को बहुला चौथ के नाम से भी जाना जाता है और यह नाग पंचम दिवस से एक दिन पहले पड़ता है। बोल चोथ के दिन मवेशियों विशेषकर गायों की पूजा की जाती है।
नाग पंचमी कितने तारीख को है?
Nag Panchami on Monday, August 21, 2023
Nag Panchami Puja Muhurat – 05:53 AM to 08:30 AM
Duration – 02 Hours 36 Mins
Nag Pancham date in Gujarat – Monday, September 4, 2023

नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है?
नाग पंचमी का महत्व
- संस्कृतिक महत्व: भारतीय संस्कृति में सांपों को महत्वपूर्ण मान्यता है। नाग पंचमी को मनाने से संस्कृति और अद्यात्म में एकता और समरसता का संकेत मिलता है।
- नाग देवता की प्रार्थना: नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा और अर्चना की जाती है। लोग उनसे अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करते हैं और उनकी कृपा की आशा करते हैं।
- सांपों के महत्व की प्रतीक्षा: नाग पंचमी के दिन लोग अपने घरों में सांपों के प्रतीक चित्रों और मूर्तियों को सजाते हैं। इससे सांपों के महत्व की प्रतीक्षा की जाती है और उनकी सुरक्षा की प्रार्थना की जाती है।
- धर्मिक और ऐतिहासिक कथाएं: नाग पंचमी के दिन धर्मिक कथाएं और पौराणिक कथाएं सुनाई जाती हैं जो सांपों के बारे में होती हैं। यह उपलब्धि नाग पंचमी को मनाने का एक अन्य कारण है।
- नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा: के साथ-साथ लोग नागराज के गुणों का गुणगान करते हैं। इसे मान्यतापूर्ण महत्व दिया जाता है कि नागराज शक्तिशाली, सम्पन्नता, सुरक्षा, और संपत्ति का प्रतीक है। इसलिए, लोग नाग पंचमी के दिन नागराज की कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा और व्रत करते हैं।
इन सभी कारणों से यह स्पष्ट होता है कि नाग पंचमी को मनाना लोगों के लिए महत्वपूर्ण है और इसका मान्यतापूर्ण मकसद है सांपों के साथ शांति और सुरक्षा की प्राप्ति करना।
नाग पंचमी की कहानी | Story of Nag Panchami in Hindi
नाग पंचमी की कथा 1
नाग पंचमी की कथा एक प्राचीन कथा से जुड़ी हुई है। कहानी के अनुसार, एक समय की बात है जब गोकुल में एक भयानक सर्प यातनाएं पैदा कर रहा था। यह सर्प गोकुल के लोगों को पीड़ित कर रहा था और उन्हें बहुत चिंता हो रही थी। इससे छुटकारा पाने के लिए, गोकुल वासीयों ने श्रीकृष्ण से सहायता मांगी।
श्रीकृष्ण ने लोगों की मदद करने के लिए एक योजना बनाई। वह नाग पंचमी के दिन गोकुल के अनुसार शांति और सुरक्षा की कामना करने के लिए नागों की पूजा और आराधना करने का सुझाव दिया। गोकुल के लोग उसकी सलाह पर चलते हुए नाग मंदिर में गए और वहां नागों की पूजा की। इससे नाग देवता खुश हुए और गोकुल में रहने वाले लोगों को बचाने के लिए सर्प यातनाओं का अंत हुआ।

नाग पंचमी की कथा 2
नाग पंचमी की कथा बहुत प्राचीन है और पौराणिक कथाओं में व्यापक रूप से प्रस्तुत है। एक प्रमुख कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब ब्रह्मा द्वारा रचित महाजल से भयानक सर्प उत्पन्न हुआ। यह सर्प अपार शक्ति और ताकत के साथ विभिन्न लोगों को पीड़ित कर रहा था। इससे छुटकारा पाने के लिए देवताओं ने ब्रह्मा से सहायता मांगी।
ब्रह्मा ने अपनी विद्या और ज्ञान की मदद से उन्हें सामरिक बनाया और उन्हें सर्प से लड़ने के लिए तैयार किया। ब्रह्मा ने इस सर्प को जल में छिपा दिया और उसे शंख में बंद कर दिया। यह सर्प तत्पश्चात् अपनी शक्ति को खो बैठा और धरती पर विषयोग में सिमट गया।
ब्रह्मा के अनुरोध पर इंद्र ने अपने वज्रायुध से वह शंख तोड़ा और सर्प को बाहर छोड़ दिया। इसे देखकर लोग आश्चर्यचकित हो गए और इसे देवराज इंद्र द्वारा जीता गया सर्प माना गया। इंद्र ने इसे स्वर्ग में अपने साथ ले जाकर उसे अत्यंत मान्यता दी।
समय के साथ, यह सर्प धरती पर उतारा गया और उसे नागराज कहा गया। नागराज ने इंद्र का धन्यवाद किया और उसे अत्यंत आदर और सम्मान से संभाला। इसके बाद से उसे Nag panchmi के दिन मनाने की परंपरा शुरू हुई और लोग सांपों की पूजा करते हैं और उन्हें अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं।
यह कथा नाग पंचमी की महत्वपूर्ण कथाओं में से एक है और यह त्योहार भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। नाग पंचमी के दिन लोग सांपों की पूजा करते हैं और उनसे सुरक्षा और क्षमता की प्राप्ति की कामना करते हैं।
नाग पंचमी पूजा विधि
नाग पंचमी की पूजा विधि (Nag panchmi puja vidhi) निम्नलिखित कदमों में सम्पन्न की जाती है:

- स्नान: पूजा की शुरुआत में स्नान करें। शुभ मुहूर्त में गंगाजल या जल से स्नान करें। यदि गंगाजल उपलब्ध नहीं है, तो साधारण पानी का उपयोग कर सकते हैं।
- वस्त्र: स्नान के बाद शुभ वस्त्र पहनें। बांस के पत्ते, पीले रंग की साड़ी या वस्त्र प्रयोग करें।
- पूजा स्थल: एक पवित्र स्थान चुनें जहां आप पूजा करना चाहते हैं। वहां पर्याप्त स्थान होना चाहिए ताकि आप आसानी से पूजा कर सकें।
- पूजा सामग्री: पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:
- नाग देवता की मूर्ति या चित्र
- दूध, गंध, अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य के लिए फल और मिठाई
- पूजा के लिए कलश, कपूर, सुपारी, लौंग, इलायची, कपूर, गंगाजल, गंध और रोली
- पूजा के लिए धातु की कटोरी, पात्र, थाली और पूजा सामग्री को रखने के लिए चौकी
- पूजा क्रिया: पूजा की शुरुआत में नाग देवता के सामने अपने मन की शुद्धि के साथ बैठें। फूल, धूप, दीप और नैवेद्य के साथ उन्हें पूजन करें। ध्यान रखें कि आप अपनी भक्ति और श्रद्धा के साथ पूजा करें।
- आरती: पूजा के बाद नाग देवता की आरती करें। आरती गाने के दौरान दीप घुमाएं और गंध चढ़ाएं।
- प्रसाद: पूजा के बाद नागराज को प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं। इसे वापस लें और प्रसाद के रूप में परिवार के सभी सदस्यों को बांटें।
नाग पंचमी की पूजा अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ करें और नाग देवता की कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करें। यह पूजा नाग देवता की कृपा, सुरक्षा और समृद्धि की प्राप्ति में मदद कर सकती है।
नाग पंचमी का मेला कहां लगता है?
नाग पंचमी के मौके पर भारत के विभिन्न हिस्सों में नाग पंचमी के मेले लगते हैं। इन मेलों का आयोजन नागराज के मंदिरों और नदी तटों के पास किया जाता है। कुछ प्रमुख नाग पंचमी मेलों के निम्नलिखित स्थान हैं:

- श्रीनागर, कश्मीर | Kashmir: श्रीनागर में नागराज के मंदिरों के पास नाग पंचमी मेले लगते हैं। यहां लोग नाग देवता की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।
- चिंचोली, महाराष्ट्र | Maharashtra: चिंचोली जिले में नाग पंचमी मेला बहुत प्रसिद्ध है। यहां लोग विभिन्न नागराज मंदिरों में जाकर पूजा और अर्चना करते हैं।
- बेलुर मठ, कर्नाटक | Karnataka: बेलुर मठ में नाग पंचमी के दिन एक विशेष मेला आयोजित होता है। यहां लोग नागराज की पूजा करने के लिए आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की कामना करते हैं।
- कालाहानडी, ओडिशा | Odisha: कालाहानडी में नाग पंचमी मेला वार्षिक रूप से आयोजित होता है। यहां पर्यटक और भक्तजन एकत्र होते हैं और नागराज की पूजा करते हैं।
- मनिपुर | Manipur: मनिपुर में नाग पंचमी के दिन नागराज के मंदिरों में मेले लगते हैं। लोग धार्मिक आनंद और उत्साह के साथ आते हैं और नाग देवता की पूजा करते हैं।
ये कुछ प्रमुख स्थान हैं जहां नाग पंचमी के मेले आयोजित होते हैं। हालांकि, नाग पंचमी के अन्य भी जगहों पर इसे धूमधाम से मनाया जाता है और लोग नाग देवता की पूजा के लिए इकट्ठा होते हैं।
नाग पंचमी के दिन सांप देखने से क्या होता है?
नाग पंचमी के दिन सांप देखने को शुभ संकेत माना जाता है। यह मान्यता है कि अगर किसीको नाग पंचमी के दिन सांप दिखाई देते हैं, तो इसके कुछ महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकते हैं:
- सुरक्षा और क्षमता की प्राप्ति: सांप देखने का मान्यता है कि यह आपकी सुरक्षा और शक्ति की प्राप्ति का संकेत है। यह देखने को मिलता है कि नागराज आपकी सुरक्षा कर रहे हैं और आपको शक्तिशाली बना रहें हैं।
- अच्छा लक्ष्य: सांप देखना भाग्यशाली माना जाता है और यह सूचित कर सकता है कि आपके सामर्थ्य और प्रयासों के बाद आपको अच्छा लक्ष्य मिलेगा। यह देखने को मिलता है कि आपकी मेहनत और संघर्ष से आपको सफलता मिलेगी।
- धन और समृद्धि: सांप देखने को धन और समृद्धि की प्राप्ति का संकेत माना जाता है। यह देखने को मिलता है कि आपके जीवन में आर्थिक आपूर्ति और सफलता की प्रवृत्ति होगी।
- आरोग्य और स्वास्थ्य: सांप देखने को आरोग्य और स्वास्थ्य की प्राप्ति का संकेत माना जाता है। यह देखने को मिलता है कि आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य मजबूत रहेगा और आपको रोगों से बचाने की क्षमता होगी।
नाग पंचमी के दिन सांप देखने का अर्थ इन संकेतों के अनुसार हो सकता है। हालांकि, ध्यान दें कि सांप खतरनाक हो सकते हैं, इसलिए उन्हें सतर्कता के साथ देखें और उनसे सुरक्षित दूरी बनाए रखें।

नाग पंचमी में गुड़िया क्यों पीटी जाती है?
नाग पंचमी में गुड़िया पीटने की प्रथा कई लोगों द्वारा मान्यता में रखी जाती है। इस प्रथा के पीछे कई कारण और मान्यताएं हो सकती हैं। यहां कुछ मान्यताएं हैं जो इस प्रथा के पीछे हो सकती हैं:
- नागराज के साथी: कुछ लोग मान्यता के अनुसार सोचते हैं कि नाग पंचमी के दिन नागराज के साथी रूप में एक गुड़िया होती है। गुड़िया को पीटने का क्रियात्मक अभिनय किया जाता है ताकि उन्हें नागराज की प्राप्ति और आशीर्वाद मिल सके।
- दुःख संहार: कुछ लोग इस प्रथा के माध्यम से अपने दुःख और पीड़ा को संहार करने की कोशिश करते हैं। गुड़िया को पीटने का अभिनय करके वे अपने दुःखों को बाहर निकालने का प्रयास करते हैं और अपने मन को शांति प्राप्त करने की कोशिश करते हैं।
- शक्ति के प्रतीक: गुड़िया को पीटने की प्रथा का एक अर्थ भी यह हो सकता है कि व्यक्ति अपनी शक्ति और सामर्थ्य का प्रदर्शन करना चाहता है। इस प्रकार, गुड़िया को पीटकर उसकी मजबूती और शक्ति का प्रतीक दिखाया जाता है।
ये मान्यताएं और विभिन्न कारण इस प्रथा को समर्थित करते हैं। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि हम विचारशीलता और सभ्यता के साथ प्रथाओं को समझें और उनका सम्मान करें।
नाग पंचमी पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए ?

नाग पंचमी पर करें | Do’s | नाग पंचमी पर ना करें | Dont’s |
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नाग मंदिर की यात्रा करें | अनिच्छुकता से या अवहेलना से इसे नजरअंदाज ना करें |
नाग पूजा करें | नाग देवता की अनादर ना करें |
स्नान करें | अनुचित व्यवहार से इसे छोड़ ना दें |
नाग पंचमी का व्रत रखें | अविश्रामपूर्वक इसे न करें |
नागराज की कथा सुनें | उच्चारण, अश्लील या अनुचित भाषा का प्रयोग ना करें |
नागराज के मंत्र जपें | अनियमितता से या बिना श्रद्धा के इसे ना करें |
नागराज की प्रतिमा या चित्र को सजाएं | नागराज की प्रतिमा या चित्र का अनादर ना करें |
नागराज के लिए पुष्प, फल और प्रसाद चढ़ाएं | अनुचित चीजें ना चढ़ाएं |
अपने दोस्तों और परिवार के साथ नाग पंचमी मनाएं | नागराज के साथी का अनादर ना करें |
नाग पंचमी के दिन भक्ति और ध्यान करें | उच्च आवाज़ में नाचने-गाने से बचें |
नागराज के चित्र या प्रतिमा को अपने घर में स्थापित करें | नागराज के चित्र या प्रतिमा को निरादर ना करें या अनुचित जगह पर स्थापित ना करें |
यहां एक विस्तृत तालिका दी गई है जिसमें नाग पंचमी के दिन करने और न करने वाले कुछ कार्यों की सूची है। कृपया ध्यान दें कि यह एक सामान्य निर्देश है और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं और धार्मिक आदर्शों के अनुसार व्यक्ति अपने विचारों और आचरण को निर्धारित करेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: नाग पंचमी क्या है?
उत्तर: नाग पंचमी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण त्योहार है जो श्रावण मास के कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नागराज यानी सर्प देवता की पूजा की जाती है।
प्रश्न 2: नाग पंचमी की पूजा कैसे की जाती है?
उत्तर: नाग पंचमी के दिन लोग नागराज की पूजा करते हैं। इसके लिए वे नाग मंदिर जाते हैं और वहां नागराज की मूर्ति को पुष्प, धूप, दीप, फल, मिठाई आदि से अर्चना करते हैं।
प्रश्न 3: नाग पंचमी का महत्व क्या है?
उत्तर: नाग पंचमी को मनाने से विशेष आशीर्वाद मिलता है। इसके माध्यम से नाग देवता की कृपा, सुरक्षा और समृद्धि प्राप्ति की कामना की जाती है। यह भारतीय संस्कृति में अपार महत्व रखता है।
प्रश्न 4: नाग पंचमी के दिन कौन-कौन से प्रकार के व्रत रखे जाते हैं?
उत्तर: नाग पंचमी के दिन कुछ लोग नाग पंचमी का व्रत रखते हैं। इसमें व्रत के दौरान नागराज की पूजा, मंत्र जाप और विशेष प्रसाद का सेवन शामिल हो सकता है।
प्रश्न 5: नाग पंचमी के दिन क्या-क्या नहीं किया जाना चाहिए?
उत्तर: नाग पंचमी के दिन नागराज की अनादर नहीं की जानी चाहिए। इसके अलावा, अनुचित व्यवहार से बचना चाहिए और अशुभ कार्यों को नहीं करना चाहिए।
Disclaimer
यहाँ प्रस्तुत की गई “Story of Nag Panchami in Hindi” केवल मार्गदर्शन के लिए है और धार्मिक विश्वासों और पाठकों की जानकारी को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है। हालांकि, इस कथा की सटिकता और इसकी संपूर्णता के लिए, कृपया आप स्वयं और संबंधित संस्थानों द्वारा प्रमाणित जानकारी का उपयोग करें। हम यहां किसी भी प्रकार के त्रुटि या अवांछित परिणामों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं जो इस कथा के उपयोग से हो सकते हैं। पाठकों को यह सुझाव दिया जाता है कि वे स्वयं जांचें और आवश्यक सत्यापन के साथ अपने विश्वासों और ज्ञान का उपयोग करें।
यह जानकारी केवल शिक्षात्मक उद्देश्यों के लिए है और यह किसी भी धार्मिक, आध्यात्मिक, या आचारिक प्रथा के लिए अधिकारिक नहीं मानी जानी चाहिए।