निद्रामें आने का सबसे आम कारण तनाव होता है। जब हम तनावमयी स्थिति में होते हैं, तो हमारे सपनों में आतंकपूर्ण तथा विपरीत विचार आने की संभावना बढ़ जाती है।
कई बार भूतपूर्व सपनों या खराब अनुभवों का संस्कार हमारे मन को बहुत दिनों बाद भी प्रभावित करता है, जिससे निद्रामें आ सकते हैं।
खाने में अधिक मात्रा में आंतकजनक पदार्थों, जैसे कि तीखा, मसालेदार खाद्य पदार्थ खाने के बाद निद्रामें होने की संभावना बढ़ जाती है।
निद्रामें के आने का एक अन्य कारण रोजमर्रा की जिंदगी में हुए बदलाव हो सकते हैं, जैसे कि नया नौकरी, बच्चे की पैदाइश, अलग होना, इत्यादि।
दुष्प्रभावी दवाओं, शराब और नशीले पदार्थों से निद्रामें आने की संभावना बढ़ जाती है।व्यक्ति अधिक मात्रा में स्वप्न याद रखते हैं, वे अपने निद्रामें को सकारात्मक रूप में बदल सकते हैं।
समय-समय पर निद्रामें के आने का कारण एक स्वास्थ्य समस्या हो सकती है, जैसे कि निद्रा अपने आप में एक विकार या बीमारी होने का संकेत हो सकती है।
बचपन में भयानक घटनाओं का सामरिक अनुभव रहने पर, जैसे शौर्य कथाएँ और युद्ध, व्यक्ति के मस्तिष्क में उनके द्वारा अनुभवित होने वाली आंतकजनक स्थितियों की याद निद्रामें आने की संभावना बढ़ाती है।
अगर आप खुद को निद्रामें में आंतकजनक हादसों से बचाना चाहते हैं, तो आपको आवास में सुरक्षा उपकरणों को स्थापित करने की आवश्यकता हो सकती है।
निद्रामें के दौरान दिमाग की कुछ क्षेत्रों की गतिविधि वृद्धि होती है, जबकि दूसरी क्षेत्रों की गतिविधि कम हो जाती है। यही कारण है कि हमारे सपनों में अजीब और असामान्य चीजें घटित होती हैं।
समय-समय पर योग और मेडिटेशन का अभ्यास करने से निद्रामें की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।निद्रामें के दौरान हमारे शरीर की संपूर्णता को निर्माण करने और मरम्मत करने की प्रक्रिया होती है।
वैज्ञानिकों ने बताया है कि निद्रामें में हमारे द्वारा देखे जाने वाले सपने अक्सर हमारी भावनाओं, इच्छाओं और डरों का प्रतिबिंब होते हैं।
निद्रामें में हमारे द्वारा देखे जाने वाले सपने की गहराई और रंगबिरंगाहट आपकी सामरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्थिति पर भी प्रभाव डालती है।