मन को निराश न कर बस श्रीकृष्ण पर तू विश्वास कर हर पल साथ है वो मुरली वाला इस बात का एहसास कर।भगवान को मंदिर से ज्यादा मनुष्य का हृदय पसंद है, क्योंकि मंदिर में इंसान की चलती है, हृदय में भगवान की।
परमात्मा शब्द नहीं जो तुम्हें पुस्तक में मिलेगा, परमात्मा मूर्ति नहीं जो तुम्हें मंदिर में मिलेगी, परमात्मा मनुष्य नहीं जो तुम्हें समाज में मिलेगा, परमात्मा जीवन है जो तुम्हें अपने भीतर मिलेगा।
जिस तरह थोड़ी सी औषधि भयंकर रोगों को शांत कर देती है, उसी तरह ईश्वर की थोड़ी सी स्तुति बहुत से कष्ट और दुखों का नाश कर देती है l
शरीर से प्रेम हैं तो आसन करें, साँस से प्रेम है तो प्राणायाम करें, आत्मा से प्रेम है तो ध्यान करें, और परमात्मा से प्रेम है तो समर्पण करें।
ईश्वर कहते है, उदास मत हो मैं तेरे साथ हूँ, सामने तो नहीं आस – पास हूँ, पलकों को बंद करो और दिल से याद करो कोई और नहीं तेरा विश्वास ही तो हूँ।
ईश्वर पर विश्वास बिल्कुल उस बच्चे की तरह करों जिसको आप हवा में उछालो तो वो हंसता है, डरता नही क्योंकि वह जानता है कि आप उसे गिरने नही दोगे।
ईश्वर के हर फैसले पे खुश रहो, क्योंकि ईश्वर वो नहीं देता, जो आपको अच्छा लगता है बल्कि ईश्वर वो देता है, जो आपके लिए अच्छा होता है।
मत करना अभिमान खुद पर ऐ इन्सान, तेरे और मेरे जैसे कितनो को ईश्वर ने माटी से बनाकर माटी में मिला दिया।मौन प्रार्थनाएँ जल्दी पहुँचती है भगवान तक, क्योंकि वो शब्दों के बोझ से मुक्त होती है।
कभी – कभी तो हम कहते हैं की कोई हमारे साथ नहीं है, लेकिन सच तो यह है की हम ये बात भूल जाते है की हमारे साथ कोई हो या नहीं, लेकिन ईश्वर हमारे साथ होते है।
जो कुछ भी है तुम्हारे दिल में, सब ईश्वर को खबर है, तुम्हारे हर हाल पर भगवान की नजर है।जब तक ईश्वर तुम्हारे साथ है तब तक दुनिया की कोई भी ताकत तुम्हें हरा नही सकती है।
मन का झुकना बहुत जरूरी है केवल सर को झुकाने से परमात्मा को प्राप्त नही किया जा सकता है।प्रार्थना शब्दों से नही हृदय से होनी चाहिए क्योंकि ईश्वर उनकी भी सुनते है जो बोल नही सकते है।
किसी व्यक्ति की मदद कर आप ईश्वर से आप एक पुण्य कमाने के सहभागी बन जाते है।ईश्वर को अपना मित्र बना लो फिर तुमको कामयाब होने से कोई नही रोक सकता है।