Hariyali Teej | हरियाली तीज: 15 ऐसे छिपे हुए अद्भुत और अज्ञात तथ्य जो आपको आश्चर्यचकित कर देंगे!!!!!!

हरियाली तीज का नाम हरितालिका तीज भी है जो व्रत करने वाली महिलाओं की सुख और समृद्धि की कामना करती है।हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।

यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारतीय राज्यों में प्रसिद्ध है, जैसे कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, और राजस्थान।हरियाली तीज में महिलाएं अपनी सुहागिन स्थिति और सौभाग्य की कामना करती हैं।

महिलाएं हरे रंग के कपड़े और गहने पहनती हैं, जो उनके सौंदर्य और त्याग का प्रतीक होते हैं।गहने में बांस की मणियाँ, पाला, और मेहंदी के डिजाइन प्रमुख रूप से इस व्रत में धारण किए जाते हैं।

तीज का उद्देश्य देवी पार्वती के ध्यान में पत्नी और परिवार की सुरक्षा के लिए व्रत रखना है।इस दिन पर्वतराज हिमालय को भी पूजा जाता है, क्योंकि वह पार्वती देवी की सहायता करता हैं।

ज्येष्ठ पुर्णिमा के तीन दिन पहले, महिलाएं व्रत शुरू करती हैं और पूजा से समाप्त होता है।व्रत के दौरान, महिलाएं एक दिन तक भोजन और पानी नहीं लेती हैं और सुबह से शाम तक निर्जला व्रत रखती हैं।

इस त्योहार में पुराने गाने गाए जाते हैं, जैसे कि "तीज को त्योहार मनायें, तीज के गीत गाएं" और "ऐ तीज, बैठ जा पलंग पर, खाज के नीचे गोल धूप बजा"।

तीज पर शिवलिंग की पूजा की जाती है, और अशोक वृक्ष और पीपल के पेड़ों के नीचे बैठकर गाने गाए जाते हैं।व्रत के बाद, महिलाएं देवी पार्वती की मूर्ति को झूलने और अन्न का प्रसाद चढ़ाती हैं।

हरियाली तीज | Hariyali teej का त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, और यह उनके पति की दीर्घायु और सुख-शांति की कामना करता है।

व्रत के दौरान, महिलाएं अपने पति के लंगोटे को लोड़े में ढककर पूजा करती हैं, जो संतान की प्राप्ति की कामना को प्रकट करता है।