खुद पर काबु रखना एक परिपक्व इंसान की निशानी है; वक्त से पहले खुद पर काबु खो देना अपरिपक्वता की पहचान है। बोलना सीखिए वरना ज़िन्दगी भर सुनना पड़ेगा…
कभी-कभी हम धागे ही इतने कमज़ोर चुन लेते हैं कि पूरी उम्र ही गाँठ बांधने में गुज़र जाती है। उड़ने में बुराई नहीं है, आप भी उड़ें..लेकिन उतना ही जहाँ से जमीन साफ़ दिखाई देती हो।
कागजों को एक साथ जोड़े रखने वाली पिन ही कागजों को चुभती है, उसी प्रकार परिवार को भी वहीं व्यक्ति चुभता है जो परिवार को जोड़ के रखता है…
टेंशन उतना ही लो जितने में काम हो जाएं, उतनी नहीं कि जिंदगी ही तमाम हो जाएं..! इंसान तारों को तब देखता है, जब जमीं पर कुछ खो देता है…
इंसान एक दुकान है और जुबान उसका ताला.. ताला जब खुलता है तब मालूम होता है कि, दुकान सोने की है या कोयले की… संसार में मनुष्य एकमात्र प्राणी है जिसका जहर उसके शब्दों में है।
यकीन करो जो तुम्हें भूल चुका है वो भी याद करेगा, बस उसके मतलब के दिन आने दो.. जो व्यक्ति हर वक्त दुख का रोना रोता है, उसके द्वार पर खड़ा सुख बाहर से ही लौट जाता है।
कहानी ज़िन्दगी की यही है… कि इसमें मनचाहा किरदार नहीं मिलता! जिसके पास उम्मीद और आस है, वो ज़िन्दगी के हर इम्तेहां में पास हैं…! हर कोई अपना नहीं होता, और यही सच है..!!
मनुष्य के दिमाग में दो घोड़े दौड़तें हैं, एक Negative और दुसरा Positive; इनमें जितेगा वहीं जिसको ज्यादा खुराक मिलेगी। हजारों ख़्वाब टूटते हैं, तब कहीं एक सुबह होती है..!!
महान दिमाग विचारों की चर्चा करता है, औसत दिमाग घटनाओं की चर्चा करता है और छोटा दिमाग लोगों कि चर्चा करता है… सिर्फ सूकून ढूंढिए..”ज़रूरते” कभी पूरी नहीं होती।
जिंदगी में सारा झगड़ा ख़्वाहिशों का हैं, न तो किसी को गम चाहिए और न ही किसी को कम चाहिए! इरादे हमेशा साफ होते हैं, इसिलीए कई लो मेरे खिलाफ होते है।
इज़्ज़त इंसान की नहीं होती है, ज़रुरत की होती हैं; ज़रुरत ख़त्म तो इज़्ज़त ख़त्म सोचा नहीं कि वक्त ऐसा भी आएगा, फूर्सत सबको होगी पर मिल कोई नहीं पाएगा
गलती उसी से होती है जो मेहनत से काम करता है, निकम्मो की जिंदगी तो दुसरों की बुराई खोजने में खत्म हो जाती है। सच बोलने के लिए कोई तैयारी नही करनी पड़ती, सच हमेशा दिल से निकलता है।