चेम्बरा पीक: यह वायनाड की सबसे ऊंची चोटी है और एक लोकप्रिय ट्रेकिंग गंतव्य है। शिखर से दृश्य लुभावना है, और शिखर के रास्ते में कोई भी दिल के आकार की झील का आनंद ले सकता है।
एडक्कल गुफाएँ: ये गुफाएँ अंबुकुथी पहाड़ियों पर स्थित हैं और नवपाषाण युग की अपनी रॉक नक्काशी के लिए प्रसिद्ध हैं। गुफाओं तक पहुँचने के लिए पहाड़ियों के माध्यम से एक ट्रेक आवश्यक है।
बाणासुर सागर बांध: यह भारत का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध है और सुरम्य पहाड़ों और जंगलों से घिरा हुआ है। डैम में बोटिंग का भी लुत्फ उठा सकते हैं।
पुकोडे झील: मीठे पानी की यह झील हरियाली से घिरी हुई है और बोटिंग, बर्डवॉचिंग और पिकनिक के लिए एक लोकप्रिय स्थान है। यह मछलियों की विभिन्न प्रजातियों का घर भी है।
मीनमुट्टी जलप्रपात: यह वायनाड के घने जंगलों में स्थित तीन स्तरों वाला जलप्रपात है। जलप्रपात के लिए ट्रेक काफी चुनौतीपूर्ण है, लेकिन दृश्य प्रयास के लायक है।
वायनाड वन्यजीव अभयारण्य: यह पश्चिमी घाट में स्थित एक लोकप्रिय वन्यजीव अभयारण्य है और हाथियों, बाघों, तेंदुओं, हिरणों आदि जैसे जानवरों की विभिन्न प्रजातियों का घर है।
मुथंगा वन्यजीव अभयारण्य: यह वायनाड में एक और प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्य है और जानवरों और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों का घर है।
जैन मंदिर, सुल्तान बाथरी: यह 13वीं शताब्दी में बना एक प्राचीन मंदिर है और अपनी जटिल नक्काशी और मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।
सोचीपारा जलप्रपात: यह वेल्लारीमाला पर्वत श्रृंखला में स्थित एक प्रसिद्ध जलप्रपात है और ट्रेकिंग और रॉक क्लाइम्बिंग के लिए एक लोकप्रिय स्थान है।
कंथनपारा जलप्रपात: यह वायनाड के घने जंगलों में स्थित एक छोटा जलप्रपात है और पिकनिक और बर्डवॉचिंग के लिए एक लोकप्रिय स्थान है।
चैन ट्री, लक्कीडी: यह वायनाड में एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और एक ब्रिटिश इंजीनियर और एक आदिवासी व्यक्ति के बारे में अपनी दिलचस्प कहानी के लिए प्रसिद्ध है।
थिरुनेली मंदिर: यह भगवान विष्णु को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है और अपनी सुंदर वास्तुकला और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। इसे दक्षिण भारत की काशी भी कहा जाता है।