डाइट प्लान – आज के दौर में मोटापा और वज़न कम करना एक बड़ी समस्या बन गया है। यह प्रॉब्लम अब नौजवान और बज़ुर्गों के साथ-साथ बच्चों में भी बढ़ रही है। इसका एक मात्र कारण हमारा मॉडर्न लाइफस्टाइल है। हम सब पतले होने के लिए अलग -अलग तरीके अपनाते है पर फिर भी कामयाब नहीं होते। इसके कई कारण हो सकते है जैसे हे हेल्दी डाइट ना लेना, ज़्यादा जंक फ़ूड और ज़्यादा मीठा खाना, टेंशन लेना, नींद ना आना आदि।
पतले होने के लिए सबसे बड़ा योगदान डाइट का है। Studies के हिसाब से हमारा 75% वज़न डाइट के साथ और 25% एक्सरसाइज के साथ कम होता है। अंत वज़न कम करने के लिए एक्सरसाइज के साथ हेल्दी भोजन खाना भी ज़रूरी है। आज हम जानेगे अलग- अलग टाइप के डाइट प्लान Secrets जो पतले होने में, मोटापा कम करने में और वज़न कम करने में हमारी मदद करते है।
Table of Contents
1 पैलियो डाइट प्लान / Paleo diet
पैलियो डाइट/ Paleo diet: इस डाइट में नेचुरल फूड्स शामिल होते है जो भूख लगने वाले हॉर्मोन को कंट्रोल में रखते है। यह डाइट मोटापा और वज़न तो कम करता ही है। उसके साथ -साथ आपको हेल्दी और फिट भी बनाती है। इस डाइट में फल, अंडा, सीफूड, मछली, सीड्स, ऑलिव, कोकोनट, फ्लैक्स सीड्स, सब्जी, फल आदि शामिल किया जाता है। इनमें भरपूर मात्रा में विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सिडेंट्स मौजूद होते है। इस डाइट में प्रोसेस्ड फ़ूड, अनाज, मीठा, डेरी फूड्स को कुछ हद तक रेस्ट्रिक्ट किया जाता है।
पैलियो डाइट (Paleo diet) के फायदे :
- पतले होने के साथ आपकी कमर का फैट भी कम होता है।
- यह आपके ब्लड प्रेशर को, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखती है।
- पैलियो डाइट (Paleo diet) आपकी आंतों को भी स्वस्थ बनाती है।
नकारात्मक पहलू : पैलियो डाइट हमे अनाज और डेरी उत्पाद से मिलने वाले ज़रूरी तत्वों की कमी कर देती है।

2 लो कार्ब डाइट (Low-Carb diet )
लो कार्ब डाइट एक पॉपुलर डाइट है, इसमें कार्बोहाइड्रेट्स (carbohydrates) की मात्रा को सीमित रखा जाता है, और हेल्दी फैट और प्रोटीन पर ज़्यादा ज़ोर दिया जाता है। जैसे चिकन और मछली, डेयरी उत्पाद, सब्जियां, फल, नट्स और ड्रायफ्रूट्स, सूरजमुखी के बीज, चिया के बीज, कद्दू के बीज, अलसी, जड़ी-बूटियां और मसाले आदि। इसे मोटापा और वज़न कम करने के लिए बहुत बेहतर और आसान तरीका माना गया है। अपने आहार में कार्ब्स में कटौती करने से इंसुलिन हार्मोन के स्तर को कम करने में मदद मिलती है क्यूंकि इंसुलिन शरीर को अधिक वसा को संग्रहीत करने के लिए संकेत देता है। जिसके परिणामस्वरूप वजन बढ़ जाता है।
लो कार्ब डायट के फायदे:
- मेटाबॉलिक हेल्थ को सही करती है।
- जल्दी से वज़न कम होता है।
- भूख कम लगती है।
नकारात्मक पहलू : कई cases में पाया गया है की लो कार्ब डाइट से LDL यानि bad कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ जाता है। कुछ लोगों के पाचनतंत्र में गड़बड़ हो जाती है।
3 लो फैट डाइट (Low-fat diet)
लो फैट डाइट के फायदे :
- स्ट्रोक और हार्ट की बीमारियां के चान्स कम हो जाते है।
- सुगर को नियंत्रण में रखती है।
- इन्फ्लेम्शन को कम करती है।
नकारात्मक पहलू : बहुत ज्यादा लौ फैट डाइट लेने से शरीर में प्रोब्लेम्स हो सकती है। फैट शरीर में हॉर्मोन प्रोडक्शन,नुट्रिएंट अब्सॉर्प्शन आदि के लिए ज़रूरी होता है। अंत इसकी कमी से शरीर में काफी प्रोब्लेम्स हो सकती है।
4 इंटरमिटेंट फास्टिंग/ intermittent fasting
इंटरमिटेंट फास्टिंग को सामान्य भाषा में कहें तो इसे फास्ट या उपवास कहा जा सकता है। इस फास्टिंग में एक निश्चित समय तक कुछ नहीं खाना होता है। खाने का एक समय निश्चित होता है, मतलब आपको दिन के 16 से 20 घंटे कुछ नहीं खाना होता। Intermittent Fasting में आपको 4 से 8 घंटे का समय मिलता है जिसमें खा सकते हैं। इसके अलावा आप Intermittent Fasting में कम कैलोरी वाले फूड और हल्के पेय पदार्थ का ही सेवन करे। जैसे कम कैलोरी वाली सब्जियों के अलावा सूप, चाय, कॉफी और नारियल पानी आदि। इससे आपका मोटापा और वज़न जल्दी कम होगा।
नकारात्मक पहलू: गर्वबती महिलाओं, शुगर के मरीज़, दूध पिलाने वाली महिलायें और किसी प्रकार की बीमारी हो तो इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह ज़रूर ले।

5 वीगन डाइट /Vegan diet
वीगन डाइट, वेजिटेरियन डाइट से काफी अलग है और ये वेजिटेरियन लाइफ स्टाइल जीने का एक तरीका है। कुछ लोग नैतिकता और पर्यावरण के लिए ऐसी डाइट को अपनाते हैं, और प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने की कोशिश करते हैं। इस डाइट में लोग पशु उत्पाद का उपयोग नहीं करते जैसे अंडा, मांस, शहद, दूध, डेयरी प्रोडक्ट्स आदि। इसमें फल, सब्जियां, होल ग्रेन्स, दाल, नट्स और सीड्स खाया जाता है। इस डाइट में कच्चे फूड्स खाने पर ज्यादा फोकस होता है, जिनमें फैट/ वसा काफी कम मात्रा में होता है। वीगन डाइट को नॉर्मल डाइट की तरह ही लिया जाता है।
वीगन डाइट के फायदे:
- इससे तेजी से वजन कम होता है।
- वीगन डाइट में फाइबर ज्यादा होता है, जिससे पेट भरा रहता है और आप कम खाते हैं।
- बॉडी मास इंडेक्स (BMI) कम होता है।
- ब्लड शुगर कंट्रोल करने में भी काफी मदद मिलती है।
- दिल सेहतमंद रहता है।
- रिसर्च के मुताबिक वीगन डाइट लेने से कैंसर का खतरा भी कम होता है। वीगन डाइट अपनाने से पशु उत्पादन पूरी तरह बंद हो जाते हैं।
नकारात्मक पहलू: जिससे शरीर में कैल्शियम और ओमेगा-3 जैसी विटामिन और मिनरल्स की कमी हो जाती है। दूसरा इससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषक नहीं मिल पाते हैं, जिसकी वजह से पाचन तंत्र खराब हो सकता है।
6 वेजीटेरियन डाइट / Vegetarian diet
बहुत से लोगों को लगता है कि वेजिटेरियन डाइट यानि शाकाहारी आहार योजना को ही वेगन कहते हैं। बेशक दोनों डाइट प्लान में मीट का सेवन नहीं होता मगर फिर भी इन दोनों में अंतर होता है। शाकाहारी लोग पेड़-पौधों से प्राप्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, जैसे सब्जियां, फल, सूखे मेवे, जड़ी बूटियां आदि। इसके साथ ही शाकाहारी लोग डेयरी प्रोडक्ट जैसे दूध, दही, छाछ, मक्खन आदि का सेवन भी करते हैं और कुछ लोग तो अंडे का भी सेवन करते है।

7 मेडिटरेनीयन डाइट /Mediterranean diet
आपको बता दे की मेडिटरेनीयन डाइट की सोच मुख्य रूप से भूमध्य सागर के करीब बसे देशों से आई है। इस डाइट के आहार में आमतौर पर शाकाहारी खाद्य पदार्थ जैसे ताजे फल और सब्जियां, नट्स, अनाज और जैतून का तेल मुख्य होता है। इसके साथ थोड़ी मछली और पोल्ट्री को भी लिया जाता है, और डेयरी उत्पादों, लाल मांस या प्रोसेस्ड मीट और मीठे का सेवन कम किया जाता है। इसके साथ साथ खाने के समय का भी विशेष ध्यान रखा जाता है, खाने के बाद आराम करना, और नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि करते रहना आदि।
मेडिटरेनीयन डाइट के फायदे : – इस डाइट को लंबे समय तक अपनाकर आप निरोगी रह सकते हैं। – मोटापा कम करने में सहायक है। – इसको अपनाने से लोग ज्यादा उम्र तक जीते हैं। – इसके अलावा ये 1) कैंसर, 2) संज्ञानात्मक रोग, 3) हृदय रोग और 4) टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम करती है। – यह स्ट्रोक के खतरे को भी 30 प्रतिशत तक कम करती है।
नकारात्मक पहलू : वज़न कम करने के लिए डाइट के साथ आपको कैलोरीज का भी ध्यान रखना पड़ेगा तभी आप पतले हो पाएंगे।
निष्कर्ष: एक्सपर्ट्स के अनुसार, हर प्रकार की डायट का प्रभाव अलग-अलग व्यक्तियों या बॉडी टाइप पर अलग होता है। इसीलिए, अगर आप वेट लॉस की योजना बना रहे हैं तो अपने डॉक्टर से इस बारे में चर्चा ज़रूर करें।